Tuesday, March 30, 2010
इसलिए सांसद कबीर ने दिया इस्तीफा
बोलेः
मैं केवल जनता का गुलाम हूं
सांसदनिधि पर दखलंदाजी
ममता ने भी गलत किया
तृणमूल कांग्रेस और लोकसभा से इस्तीफा देने के बाद विद्रोही सांसद कबीर सुमन ने कहा कि मैं पार्टी का गुलाम नहीं हूं। मैं एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि हूं। मुझे पार्टी ने नहीं चुना है। मैं केवल जनता का गुलाम हो सकता हूं। इस्तीफे का कदम उन्हें इसलिए उठाना पड़ा है क्योंकि वह गुलाम बन कर काम नहीं कर सकते। उन्हें सांसद विकास निधि को किस तरह से खर्च करना है, इस बारे में पार्टी को निर्देशित करने की जरूरत नहीं है। उनके पास मुझे निर्देशित करने का कोई अधिकार नहीं है। केवल जनता निर्देश दे सकती है क्योंकि यह उसका धन है। प्रशासनिक अधिकारियों जैसे जिलाधिकारी को इस पर निगरानी रखनी होती है। कुछ पार्टी नेता विकास के कामों के लिए उनकी कोशिशों में बाधा डाल रहे हैं। मुझसे कहा जाता है कि आपको कुछ नहीं करना है, आपको केवल फाइल पर दस्तखत करना चाहिए। लेकिन मैंने ऐसा करने से मना कर दिया है। हो सकता है कुछ लोग पैसे बनाना चाहते हों। गैरसरकारी संगठनों की मार्फत जब मैंने परियोजनाओं का क्रियान्वयन आरंभ किया तो मेरे बारे में शिकायत की गई की मैं पार्टी को नजरअंदाज कर रहा हूं। मैंने जिस भी परियोजना को गैरसरकारी संगठनों की सहायता से आगे बढ़ाया, उसका परिणाम शानदार रहा। पार्टी द्वारा यह काम अच्छे तरीके से नहीं किया जा सकता। पार्टी के कुछ नेताओं द्वारा कथित तौर अपमानित किए जाने के बाद उन्होंने बीती रात पार्टी अध्यक्ष ममता बनर्जी को एक मोबाइल संदेश भेजकर पार्टी छोड़ने की इच्छा जताई थी। रेलमंत्री पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि हाल ही में मेरे निर्वाचन क्षेत्र में एक कार्यक्रम था। इस दौरान कुछ युवा उनके पास पहुंचे और खेल के मैदान के लिए निधि जारी किए जाने की मांग की। ममता बनर्जी ने मुझे नजरअंदाज करते हुए एक राज्यसभा सदस्य से अपने कोटे से राशि जारी करने को कहा। यह मेरे मुंह पर एक तमाचा था। इससे ज्यादा अपमान और बर्दाश्त नहीं किया जा सकता था।
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