Wednesday, March 31, 2010

फिर तो लालू की खुशी का ठिकाना नहीं!

दल छोटा है तो क्या हुआ, दिल्ली तो है। दिल्ली का दिल बहुत बड़ा है। औरों के लिए हो, न हो, सांसदों के लिए इतना बड़ा है कि अपुन पार्टी में तीन-चार सांसद भी हों तो चलेगा। संपदा निदेशालय जो है। दे देगा पटेल हाउस में कोई-न-कोई ठीया। ऐसी ही सूचना पिछली 15 मार्च को नमूदार हुई है, जो मुई 31 मार्च को मीडिया के हाथ लगी। तो पता चला है कि छोटे राजनीतिक दलों को फायदा पहुंचाने वाले एक निर्णय में सरकार ने दिल्ली में उन क्षेत्रीय दलों को दफ्तर के लिए स्थान आवंटित करने का फैसला किया है, जिनके कम से कम चार सदस्य संसद के किसी भी सदन मे हों। इससे राजद की खुशी का ठिकाना नहीं है। थोड़ी-बहुत खुशी इससे रामविलास पासवान को भी हो सकती है। भले झोली में झक्कास कंगाली हो। तो संपदा निदेशालय ने 15 मार्च को जारी की थी सूचना कि केवल उन मान्य राज्यस्तरीय राजनीतिक दलों के नाम पर विट्ठलभाई पटेल हाउस में दफ्तऱ-आवास के आवंटन के लिए विचार किया जा सकता है, जिनके कि कम से कम चार सदस्य संसद के दोनों सदनों में हों। सो, तो हैं ही कई के। इससे पहले यह प्रावधान संसद के दोनों सदनों में कम से कम सात सदस्यों वाले दलों के लिए लागू था और चार मई 2001 के कार्यालय आदेश में इसका जिक्र किया गया था। इस कदम से गिने-चुने दो-तीन सांसदों वाले रालोद और इससे थोड़ी ज्यादा सांसदों वाले जनता दल-सेकुलर एवं नेशनल कांफ्रेंस को फायदा हो सकता है। इस फैसले से लालू प्रसाद को फायदा तय माना जा रहा है, क्योंकि अगले कुछ महीनों में राज्यसभा में इसके सदस्यों की संख्या कम होने पर इसके पास वीपी हाउस में पहले से ही मौजूद कार्यालय बना रह सकता है। बने रहना चाहिए। महिला आरक्षण विधेयक आ रहा है। परमाणु विधेयक आ रहा है। शिक्षा नामक विधेयक आ रहा है.......आदि-आदि। चलो ठीक ही हुआ। भगवान सबका भला करे। संसद जो है अपने देश की!

सोचिए कि संसद और देश सानिया नहीं, सोनिया गांधी से चलते हैं! शोएब से ज्यादा जरूरी है रायबरेली (उ.प्र.) का पता रखना.



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देश सोनिया गांधी से चलता है, सानिया मिर्जा से नहीं। होशोहवास दुरुस्त रखकर बात पते की करें तो सूचनाएं इसी सिरे से आती हैं। उत्तर प्रदेश के रायबरेली लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं सोनिया गांधी, कौन नहीं जानता! जो जानते हैं, अनजान बने रहना चाहते हैं, जो नहीं जानते, उन्हें उत्तर प्रदेश से ज्यादा जानने की फुर्सत नहीं है। बात बसपा बनाम मायावती के माला प्रकरण से होती हुई नोटो की माला से लदी सोनिया गांधी के उस फोटो तक पहुंच जाती है, जो बसपा प्रतिशोध के अंदाज में पिछले दिनों जारी करती है। मीडिया के लिए यह सुरसुरी हो सकती है और पाठकों-दर्शकों के लिए दीदाफाड़ अचंभा। लेकिन नतीजे बहुत आगे पहुंच कर छाती पीटने, लगते हैं कि आज सोनिया गांधी रायबरेली में थीं। बहुतों के लिए अपने-आप में यही बहुत बड़ी बात हो सकती है। इससे भी बड़ी बात ये कि दो दिन पहले राहुल गांधी भी उत्तर प्रदेश के अमेठी इलाके में गए थे। दोनों यात्राएं बसपा के लिए सवाल हो सकती हैं कि इतनी जल्दी-जल्दी दोनों परिजन-सांसदों के 'हमारे प्रदेश' में आने का मतलब आखिर क्या हो सकता है! जैसे मायावती के इतनी भारी माला पहनने का मतलब क्या हो सकता था, कांग्रेस वाले आज तक नहीं जान पाए हैं!! राजनीति में ऐसे अबूझ सवाल चलते रहते हैं। कोई नई बात नहीं। न ही जानें तो ठीक। बस 'जनता जनार्दन नामक मतदाता' को पगलाने वाले तरीके का जरा कमाल होना चाहिए। सो, कई तरह के कमाल इन दिनों हो रहे हैं। ........तो सुनिए कि सोनिया जी ने आज कहा..........मनरेगा नहीं, दिस इज रांग वर्ड, महात्मा गांधी नरेगा बोलिये...यह कहते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी रायबरेली में जिला निगरानी व सर्तकता समिति की बैठक में अधिकारियों को योजना का सही नाम लेने की नसीहत देती हैं। बैठक की अध्यक्षता करते हुए सोनिया केन्द्र सरकार की योजनाओं के अमल पर लापरवाही पर अफसोस जताती हैं। वह कहती हैं कि योजना में गड़बड़ियों की व्यापक स्तर पर सोशल आडिट होनी चाहिए। धांधलियों के बारे में जनता को भी पता चलना चाहिए। बैठक में कांग्रेस विधायकों आरोप लगाते हैं कि राज्य सरकार जिले की प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजनाओं का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को नही भेज रही है। आदि-आदि। बैठक की शुरूआत में रायबरेली के डीएम चरनजीत बख्शी जैसे ही मनरेगा का जिक्र करते हैं, सोनिया टोकते हुए कहती हैं कि मनरेगा कोई शब्द ही नही है। इसके बाद वह नरेगा में जॉब कार्ड के लिए रिजेक्ट किये गए 16 हजार फार्मों पर भी एतराज करते हुए रिजेक्ट प्रार्थना पत्र विकास विभाग से तलब कर लेती हैं। और कहती हैं कि वे खुद इस बात की जांच करेगीं कि जॉब कार्ड के प्रार्थना पत्र क्यों रद्द किये गए! ये बड़ी मुश्किल बात हो जाती है। भ्रष्टाचार को सींचने वाले कथित हलालखोर (?) बाहर सूंघते रहते हैं कि अंदर क्या चल रहा है! सोनिया नरेगा में सिर्फ 5 प्रतिशत महिलाओं को काम दिये जाने पर भी नाराजगी जताती हैं। कहती हैं कि योजना में कम से कम 33 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी होनी चाहिए। यह चेतावनी दिल्ली पहुंच जाती है। लखनऊ भी। पटना भी। लालू-मुलायम उधर जो हैं। संभव है कोलकाता तक पहुंच गई हो। लेकिन ममता बनर्जी अपने सांसद कबीर सुमन को लेकर अचानक अचंभित और हैरान हैं। जितनी की रेल बजट पर दादा की नाफरमानी से परेशान नहीं थीं। आखिर क्यों? सियासत की परिभाषा महादेवी वर्मा बहुत पहले बयान कर चुकी हैं। सो, रायबरेली में आज संप्रग सुप्रीमो की करीब पांच घटें चली बैठक में हर योजना की अलग-अलग समीक्षा की गई। बैठक में जिले के विधायक, जिला पंचायत सदस्य व ब्लाक प्रमुख मौजूद थे। बैठक में केन्द्र सरकार की मदद से बन रही सड़कों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने, राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना व परिवारिक लाभ योजना पर गहन चर्चा की गई। बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष ने राजीव गांधी ट्रस्ट की ओर से बनाए गए गेस्ट हाउस का लोकार्पण भी किया। उत्तर प्रदेश में लोकार्पण?? संदेश मायावती तक पहुंच चुका है। पुल नहीं, गेस्ट हाउस था, कोई बात नहीं। नसीमुद्दीन सिद्दीकी के नीचे के स्तर की बात है। ....और इस बीच पता चलता है कि 'राष्ट्रीय दल और क्षेत्रीय दल' नामक शीर्षक सांसद अमर सिंह के बहुचर्चित ब्लॉग पर पिछले पांच दिनों से झूल रहा है। क्षत्रिय महासभा, सांसद जया बच्चन, पूर्व सांसद अमिताभ बच्चन आदि प्रकरणों ने इतना कोहरा बिछा दिया है कि लिखने की फुर्सत ही नहीं मिल रही। सपा से कांग्रेस तक इतने ताने-बाने हैं कि बोलने और लिखने का तारतम्य न चाहकर भी बड़े भद्दे तरीके से उलझ गया है।
उफ्, ये राजनीति!!!

दिल्ली में मुस्लिमों को कांग्रेस का मरहम





दिल्ली में एक ओर आज राज्यों के अल्पसंख्यक आयोगों का वार्षिक सम्मेलन हो रहा है, दूसरी तरफ पहले से महिला आरक्षण बिल को लेकर गर्मायी सियासत पांच अप्रैल से फिर पुरजोर होने जा रही है। इस बीच लालू, मुलायम व मुस्लिम संगठनों के उलाहने थम नहीं रहे। इधर, दिल्ली में आज सलमान खुर्शीद और पी. चिदंबरम ने मुस्लिमों को जमकर आश्वस्त करने की कोशिश की।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री सलमान खुर्शीद ने आज कहा कि वह पिछड़े मुस्लिमों को आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है, जैसा कि सच्चर समिति की रिपोर्ट में सिफारिश की गई है। हम पिछड़े वर्गो की आरक्षण सूची में पिछड़े मुसलमानों को उनका हिस्सा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ऐसी ही सिफारिश सच्चर समिति की रिपोर्ट में गई है और हमारे (कांग्रेस) चुनाव घोषणा पत्र में भी यह वायदा किया गया है। सच्चर समिति की सिफारिश और कर्नाटक, केरल तथा तामिलनाडु में पिछडे वर्गों की सूची में अल्पसंख्यकों के पिछड़े वर्गों को अलग और विशेष प्रतिनिधित्व देने के सफल प्रयोगों के आलोक में अपने चुनाव घोषणा पत्र में हमने यह संकल्प किया था। इन राज्यों में जिस आधार पर यह व्यवस्था की गई, उसी बुनियाद पर हम आगे बढ़ सकते हैं। उन्होंने इस संदर्भ में बिहार का उदाहरण दिया, जहां ऐसे कदम पहले ही उठाए जा चुके हैं। इससे पहले खुर्शीद ने राज्यों के अल्पसंख्यक आयोगों के वाषिर्क सम्मेलन में कहा कि आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय मुस्लिमों के पिछडे वर्गों को आरक्षण देने की राज्य सरकार की पहल को दो बार अस्वीकार कर चुकने के बाद पिछडे वर्गों के 27 प्रतिशत के सामान्य आरक्षण में उनको भी आरक्षण देने की अवधारणा को नामंजूर नहीं कर सका। उनका मंत्रालय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इस बात के लिए राजी करने की कोशिश कर रहा है कि अगली पंचवर्षीय योजना में अल्पसंख्यक बहुल जिले घोषित करने के लिए संबंधित जिलें में अल्पसंख्यक आबादी को वर्तमान 25 प्रतिशत की शर्त को घटा कर 15 प्रतिशत कर दिया जाए। उधर, बरेली और हैदराबाद में हुए साम्प्रदायिक दंगों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यकों को आश्वासन दिया है कि वह उनके हितों की सुरक्षा के लिए दृढ संकल्प है और साम्प्रदायिक हिंसा से निपटने के लिए इस साल के अंत तक एक नया कानून आ जायेगा। गृह मंत्री पी. चिदम्बरम ने आज यहां राज्यों के अल्पसंख्यक आयोगों के वाषिर्क सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए यह आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न भागों में छोटी छोटी बातों को लेकर सांप्रदायिक दंगे भडके हैं। उनमें से कुछ के पीछे तो पूर्व में हुआ कोई छोटा मोटा झगड़ा भी रहा है और जिसका परिणाम यह हुआ कि अल्पसंख्यक समुदाय में भय और असुरक्षा का वातावरण बना है तथा लोगों की आपस की दूरी बढी है। गृहमंत्री ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय में किसी भी प्रकार के दंगे की आशंका को तत्काल दूर करने की आवश्यकता है। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को बनाये रखने और सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों को समान अवसर प्रदान करने को प्रतिबद्ध है। चिदम्बरम ने कहा कि केन्द्र सरकार दिसंबर 2005 से ऐसा कानून बनाने के लिये काम कर रही है जिसके तहत सांप्रदायिक हिंसा को रोका जा सके, नियंत्रित किया जा सके और दंगा पीड़ितों का पुनर्वास सुनिश्चित किया जा सके। इस आशय का एक विधेयक 2005 में संसद की स्थायी समिति को सौंपा गया था। उनको इस बात की पूरी उम्मीद है कि इस साल के अंत तक साम्प्रदायिक हिंसा को रोकने व नियंत्रित करने तथा पीड़ितों के पुनर्वास के लिए कानून अवश्य बन जायेगा।

मध्य प्रदेश में कांग्रेस सांसदों को नोटिस



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मध्य प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व ने अपनी पार्टी के सांसदों को ही नोटिस थमा दिया है। मामला ही कुछ ऐसा है। पार्टी का मानना है कि ये सांसद और अन्य पदाधिकारी पार्टी फंडिंग से बच रहे हैं।
पीसीसी ने ऐसे अपने कई सांसदों तथा पूर्व सांसदों, विधायकों सहित लगभग 260 नेताओं को नोटिस थमाते हुए उनसे कहा है कि पार्टी खर्च चार अप्रैल तक हर हाल में जमा करें। जो पैसा जमा नहीं करेगा, उसे संगठन चुनाव के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। पता चला है कि इस चेतावनी का तत्काल असर हुआ है। अब तक 60-70 लोगों ने फीस जमा कर दी है। उल्लेखनीय है कि डॉ. मनमोहन सिंह समिति के निर्देशानुसार पीसीसी सदस्य को 300 रूपये, एआईसीसी सदस्य को 600 रूपये सालाना, सांसद, विधायक, निगम एवं बोर्डो के अध्यक्ष व सदस्यों को प्रतिवर्ष एक माह का वेतन पार्टी कार्यालय में जमा कराना है। यही नियम जिला परिषद, नगर पालिका, नगर पंचायत प्रमुखों आदि पर भी लागू है। जिन राज्यों में पार्टी सत्ता से बाहर है, उनका खर्चा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के जिम्मे है। समिति के अनुसार संगठन के लिए निर्वाचित प्रतिनिधियों के अलावा पीसीसी सदस्य और एआईसीसी सदस्यों को भी सहयोग राशि देना जरूरी किया गया है, इसके बावजूद पीसीसी को अपने खर्च के लिए एआईसीसी का मुंह देखना पड़ता है। समिति के कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा ने जब भृगुटिया टेढ़ी की हैं तो दनादन पैसे जमा होने लगे हैं।

Tuesday, March 30, 2010

सांसद राहुल गांधी की चेतावनी पर माया का डंडा चला



उत्तर प्रदेश में मनरेगा की गड़बड़ियों पर माया सरकार को चेतावनी देना असर कर गया है। अमेठी में सांसद एवं कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने पिछले दिनो मीटिंग में चेतावनी दी थी कि अगर प्रदेश सरकार ने नरेगा की गड़बड़ियों पर लगाम लगाते हुए भ्रष्ट लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की तो केंद्र सरकार को इसमें हस्तक्षेप करना पड़ेगा। राहुल की चेतावनी के बाद केन्द्र सरकार द्वारा प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास श्रीकृष्ण को इस संबंध में एक कड़ा पत्र भी लिखा गया था। 88 लाख रुपये का भुगतान एक फर्जी एनजीओ को करने के लिए प्रथम दृष्टया जिम्मेदार पाये जाने पर सुल्तानपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी आरके सिंह, मुख्य विकास अधिकारी बी.राम तथा एक अन्य घोटाले के लिए जिम्मेदार चित्रकूट के तत्कालीन जिलाधिकारी हृदयेश कुमार के खिलाफ मुख्यमंत्री ने विभागीय कार्रवाई शुरू करा दी है। आरोपपत्र देकर इनके विरुद्ध जांच करने का निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने महोबा एवं चित्रकूट के तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारियों को निलम्बित करने का निर्देश दिये हैं। गोण्डा, बलरामपुर, महोबा, सुल्तानपुर, चित्रकूट के अन्य कई अधिकारियों को भी निलम्बित कर दिया गया है। मनरेगा की जांच के बाद गोण्डा के तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी राजबहादुर निलम्बित कर दिये गए हैं। वहां के परियोजना निदेशक जीपी गौतम, सहायक लेखाकार सुधीर कुमार सिंह, लेखाकार अवधेश कुमार सिंह, संख्या सहायक दुर्गेश मिश्र भी निलम्बित हो गये हैं। बलरामपुर के परियोजना निदेशक अमरेशनन्द राय, तत्कालीन परियोजना निदेशक भगवती प्रसाद वर्मा तत्कालीन प्रभारी लेखाधिकारी बृजकिशोर लाल श्रीवास्तव को निलम्बित कर दिये गये हैं। महोबा के तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी जयरामलाल वर्मा परियोजना निदेशक हरिनारायण तत्कालीन खण्ड विकास अधिकारी लालसिंह, आदित्य कुमार तथा राजेश कुरील भी निलम्बित किये गये हैं। सुल्तानपुर के परियोजना निदेशक छोटेलाल कुरील, वरिष्ठ लिपिक मनोज कुमार, सहायक लेखाकार देवकी नन्दन यादव लेखाकार विजय शंकर दुबे को निलम्बित कर दिया गया है। चित्रकूट के तत्कालीन जिला विकास अधिकारी गया प्रसाद सिंह को आरोप पत्र देकर उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू कर दी गयी है। वहां तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी प्रमोद चन्द्र श्रीवास्तव, परियोजना निदेशक राम किशुन, सहायक लेखाकार मुन्नू लाल और कनिष्ठ लिपिक अतुल कान्त खरे को निलम्बित किया गया है। भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार अबतक 69 अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध निलम्बन की कार्यवाही की जा चुकी है। इसके अतिरिक्त जिन कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच पूरी हो गयी है उसमें से 51 को प्रतिकूल प्रविष्टि दी गयी 4 की वेतनवृद्धि रोक दी गयी है। 29 जिलों में 40 मामलों में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी गयी है, जिसके अन्तर्गत 38 प्रधानों, 30 ग्राम विकास व ग्राम पंचायतराज अधिकारियों तथा 48 अन्य विभाग के अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाई जा चुकी है।

सांसद वरुण ने माया सरकार को चेताया




सहारनपुर में भाजपा के राष्ट्रीय सचिव और पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी ने कहा कि वे राजनीति में चुनाव जीतने या सत्ता हासिल करने के लिए नहीं बल्कि अपने लोगों के सम्मान की रक्षा के लिए संघर्ष करने आए हैं। यदि वे ‘गांधी’ उपनाम की बजाय किसी और जाति के होते तो आज उन्हें यह जगह नहीं मिलती। यह दुर्भाग्य की बात है कि प्रतापगढ़ में मात्र 20 रुपए, मामूली कपड़े, कुछ मिठाई और बर्तन के लिए 65 लोगों की शहादत हो जाती है, लेकिन पाँच करोड़ और 10 करोड़ की माला पहनने वाली मायावती उर्फ ‘मालावती’ के पास उन गरीबों को देने के लिए मुआवजे की राशि तक का इंतजाम नहीं है। भाजपा के युवा सांसद ने कहा कि वे इस मंच के माध्यम से मायावती के खिलाफ नहीं बोलेंगे क्योंकि चुनाव में मायावती ने उन्हें बहुत प्यार और सम्मान दिया था, हमारा समय आने पर उन्हें उससे ज्यादा प्यार तथा सम्मान दिया जाएगा। हमारे ऊपर आज यह जिम्मेदारी है कि हम अमीरों के बजाय आम परिवारों के नौजवानों को उनका सम्मान दिलाएँ। उन्होंने सलाह दी कि यदि नौजवानों को लंबे समय के लिए कर्ज दिया जाए तो वे विभिन्न व्यवसायों को अपनाकर अपने सपनों को सफल कर सकते हैं। कपड़े और अन्य सामान का व्यापार करने वाला व्यापारी जब स्वयं सामान का रेट तय करता है तो किसान को भी उसकी फसल का रेट खुद तय करने का अधिकार दिया जाना चाहिए। उन्होंने गोहत्या को सांप्रदायिक पाप और कानूनी जुर्म मानते हुए कहा कि गोहत्या केवल हिन्दुओं से जुड़ा मामला नहीं है बल्कि यह राष्ट्रीय मुद्दा है।

सांसद योगी ने दलितों का झंडा उठाया




गोरखपुर (उ.प्र.) के भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ कुशीनगर जिला प्रशासन से नाराज हैं। उनका कहना है कि इस जिले में धर्मांतरण धर्मांतरण की गतिविधियां तेज हो रही हैं। मुसहर जाति के लोग सरकारी योजनाओं से वंचित किए जा रहे हैं। खाद्यान्न घोटाले को छिपाया जा रहा है। वह इसके खिलाफ न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। इन मामलों की सीबीआई जांच की मांग करते हुए सांसद योगी कहते हैं कि हिंदुओं की मासूम बच्चियों को निशाना बनाया जा रहा है। बलात्कार और उनकी हत्याएं की जा रही हैं, परन्तु यहां का जिला प्रशासन अपने में मस्त है। योजनाओं में भ्रष्टाचार चरम पर है और महादलित लोग योजनाओं के लाभ से वंचित हो रहे हैं। कुशीनगर में दलित विकास के लिए हिंदू युवा वाहिनी एवं विश्व हिंदू महासंघ द्वारा जनपद मुख्यालय पर किए जा रहे धरना प्रदर्शन के मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए सांसद ने कहा कि जिलाधिकारी जनरल डायर बनने की कोशिश न करें। अगर वंचित वर्ग जाग जाएगा और हथियार उठा लेगा तो उनकी मुश्किलें बढ़ जाएंगी। कुशीनगर की धरती भगवान बुद्ध, महावीर जैसे लोगों को पैदा करती है और इस धरती के लोगों को कीड़े-मकोड़े समझने वालों को कीड़े मकोड़े की तरह रौंदना भी जानती है। दलित समाज विकास से वंचित है। भ्रष्ट अधिकारियों ने अपनी कार्यप्रणाली नहीं बदली तो वे लोग चैंबर में घुसकर कार्यप्रणाली सिखाएंगे। मैं जिले में आया हूं तो सैकड़ों लोगों ने अपनी पीड़ा सुनाई है। इससे पता लगता है कि जिलाधिकारी गरीबों की समस्याओं पर ध्यान नहीं देते हैं। कुशीनगर में हुए खाद्यान्न घोटाले की सीबीआई जांच नहीं कराई जा रही है। अब वह उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। हर हाल में अरबों के इस घोटाले की जांच होनी चाहिए। वह स्वयं इस मामले की सीबीआई जांच कराने के लिए प्रयासरत हैं। उनका प्रयास है कि पूरे देश में हुए खाद्यान्न घोटाले की जांच हो। एक सोची-समझी रणनीति के तहत कुछ लोगों को बचाने के लिए जांच सूची से कुशीनगर के खाद्यान्न घोटाले का जिक्र हटा दिया गया है। यदि सरकार यहां के घोटाले की जांच नहीं कराती है तो वह अदालत की शरण में जा सकते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि गरीबों के लिए संचालित योजनाओं का लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा है। मुसहर जातियां आज भी भुखमरी की शिकार हैं। मौजूदा सरकार और प्रशासन दोनों खामोश हैं। सांसद योगी ने कहा कि पिछले पांच वर्षों के दौरान देश में धर्मांतर में तेजी से वृद्धि हुई है। इससे कुशीनगर भी अछूता नहीं रह पाया है। यहां का जिला प्रशासन मुस्लिम तुष्टीकरण का पोषक बनकर धर्मांतरण को बढ़ावा दे रहा है। वर्ष 2004 तक पांच राज्यों में फैले नक्सली आज 23 राज्यों में अपना मजबूत नेटवर्क खड़ाकर देश के समक्ष संकट बने हुए हैं। महंगाई और भ्रष्टाचार से जनता को राहत पहुंचाने में केंद्र सरकार पूरी तरह विफल साबित हो रही है। प्रदेश के गरीब जिलों में शुमार कुशीनगर में भूख से पांच सौ से अधिक मौते हुई हैं। बावजूद इसके प्रशासन की संवेदनहीनता के कारण यहां के दलित व मुसहर मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं।

सांसद का रेला पुलिस ने बीच रास्ते रोका


राजस्थान में जुगाड़ पर पाबंदी के खिलाफ हजारों लोगों के साथ सड़क पर उतरे दौसा के निर्दल सांसद किरोड़ीलाल मीणा

पुलिस की नाकेबंदी के बाद प्रदेश सरकार से वार्ता के लिए हो गए तैयार, लेकिन अपनी दोनों मांगों पर अभी पूरी तरह अटल

राजस्थान में गुर्जर नेता किरोड़ी बैंसला तो गुर्जर आरक्षण को लेकर माहौल गर्माए ही हुए थे, इसी बीच दौसा के निर्दल सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने भी ताल ठोंक दिया। सांसद मीणा ने जुगाड़ पर पाबंदी के खिलाफ बाकायदा रैली निकालते हुए जयपुर कूच करने का आह्वान कर दिया। हाइकोर्ट ने सरकार को जुगाड़ वाहनों पर पाबंदी लगाने निर्देश दे रखा है। पता चला है कि सरकार ने भी सांसद का प्रोग्राम रोकने के लिए कमर कसते हुए पुलिस को एलर्ट कर दिया कि वह सांसद को अपने समर्थकों के साथ शहर से बाहर न निकलने दे। रैली को दौसा में ही रोक दिया जाए। वह न रोका जा सके तो बस्सी के पास रोक दिया जाए। इसके लिए बस्सी में बड़ी संख्या में फोर्स को मुस्तैद कर दिया गया। इलाके में आधा दर्जन से अधिक एएसपी और करीब एक दर्जन डिप्टी एसपी के अलावा आरएसी, बार्डर होमगार्ड सहित अर्द्धसैनिक बल तैनात हो गए। इस बीच शाम को पता चला कि सरकार की मुस्तैदी के बाद दौसा सांसद प्रदेश सरकार से वार्ता के लिए तैयार हो गए। वे सचिवालय में परिवहन मंत्री बृजकिशोर शर्मा, गृह सचिव व कई अन्य अधिकारियों से बात करेंगे। जयपुर पहुंचने से पहले ही कानोता के पास उन्हें प्रशासन ने रोक लिया। वहां पर मीणा और उनके समर्थकों ने पांच घंटे तक हाईवे जाम रखा। सांसद के साथ उनके हजारों समर्थक मोटरसाइकिलों पर सवार होकर दौसा से दोपहर दो बजे रवाना हुए, लेकिन जयपुर से 15 किलोमीटर पहले ही कानोता के पास उन्हें रोक दिया गया। पता चला है कि सांसद ने दो मांगें सरकार के सामने रखी हैं। उनका कहना है कि सरकार जुगाड़ पर हाईकोर्ट द्वारा लगाए प्रतिबंध पर पुनर्विचार याचिका दायर करे और जुगाड़ों का रजिस्ट्रेशन करवाए। दोपहर को हजारों लोगों के साथ सांसद दौसा के कलेक्ट्रेट चौराहे से जुलूस के रूप में निकले। इससे पहले उन्होंने लोगों को संबोधित किया। सभा में उन्होने वही मांग उछाली कि जुगाड़ बंद नहीं होने देंगे। सरकार रोजगार मुहैया कराए।
(फोटो साभार दैनिक भास्कर से)

एनएसी अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार सोनिया अपने लोकसभा क्षेत्र में




एनएसी यानी केंद्र सरकार की सुपर पॉवर बनने के बाद पहली बार कांग्रेस सांसद, पार्टी सुप्रीमो सोनिया गांधी बुधवार को अपने लोकसभा क्षेत्र रायबरेली के दौरे पर जा रही हैं। वह अपने संसदीय क्षेत्र में एक दिन गुजारेंगी। सोनिया गांधी की रायबरेली की यात्रा की जानकारी यूपी के मुख्य पार्टी प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने देते हुए कहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष रायबरेली के एक दिन की यात्रा पर सुबह 11 बजे के आसपास पहुंचेंगी और शाम को दिल्ली लौट जाएंगी। रायबरेली में वह केन्द्रीय योजनाओं की जमीनी हकीकत की जानकारी लेगी। सोनिया रायबरेली के जनप्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों के साथ जिला सतर्कता एवं अनुश्रवण समिति की बैठक की अध्यक्षता करेंगी और केन्द्रीय योजनाओं की समीक्षा में शिरकत करेंगी। उल्लेखनीय है कि सोनिया गांधी के एनएसी अध्यक्ष बनने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर बहस छिड़ी हुई है। कहा जा रहा है कि अभी तक वह रिमोट कंट्रोल से सरकार चला रही थीं, अब उनका सरकार पर सीधे कंट्रोल होगा। राजनीतिक हलकों में कुछ लोगों द्वारा कहा जा रहा है कि इससे सरकार और एनएसी के बीच खींचतान का प्रभाव प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह के सरकार चलाने के तरीके पर पड़ेगा, जबकि अन्य तारिक अनवर आदि का मानना है कि ये सब फालतू की बाते हैं। यह कांग्रेस का एक सराहनीय कदम है। बहुत सारे लंबित मामले अब तेजी से आकार ले सकेंगे।

सांसद अखिलेश का माया को जवाब




सोने का मुकुट पहनने से सपाध्यक्ष ने किया इनकार

चांदी की साइकिल लेकर बोले- ये पार्टी का प्रतीक चिह्न

समाजवादी पार्टी के कन्नौज (यूपी) सांसद एवं उत्तर प्रदेश सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आज गाजियाबाद स्थित लाजपत नगर के रामलीला मैदान में आयोजित सभा में बसपा को खुला सियासी संदेश देते हुए सोने का ताज पहनने से इनकार कर दिया। सियासी हलकों में इसे मुख्यमंत्री मायावती के नोटों की माला का पार्टी की ओर से उछाला गया एक सधा-सधाया जवाब माना जा रहा है। यहां सभा में जब पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अपने सांसद को सोने का मुकुट देना चाहा तो उन्होंने स्वीकारने से स्पष्ट मना कर दिया। तभी भाजपा से सपा में शामिल हुए सागर शर्मा ने उन्हें चांदी की नन्हीं सी साइकिल भेंट की, जिसे उन्होंने यह कहते हुए ले लिया कि यह पार्टी का प्रतीक चिह्न है। सांसद ने कहा कि सपा ने प्रदेश के सभी जिलाध्यक्षों को आदेश दिया है कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का स्वागत सोने के मुकुट व नोटों की माला से न करें। इससे पार्टी की अलग छवि बनेगी। अभी पार्टी का एकमात्र उद्देश्य बीएसपी को प्रदेश से हटाना है। इसके लिए प्रत्येक कार्यकर्ता को जी जान से जुटना होगा। प्रदेश में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। किसानों को उनका हक नहीं दिया जा रहा है। उन्हें जबरदस्ती पुलिस से दबाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पार्टी महिला आरक्षण विधेयक का विरोध नहीं कर रही है, लेकिन जो आरक्षण मिले वह अल्पसंख्यक, गरीब व पिछड़ी जाति वाली महिलाओं को मिले न कि पूंजीपतियों को। यूपी गेट से लाजपत नगर के सभा स्थल तक सांसद अखिलेश यादव का जगह-जगह स्वागत किया गया। इस दौरान शहर का ट्रैफिक जाम-सा रहा। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों स्थानीय सपा नेता इस बात को लेकर चिंतित थे कि सभा सफल हो पाएगी या नहीं, लेकिन आज कार्यक्रम की सफलता पर सभी बांछें खिली हुई थीं। आज की सभा सागर शर्मा के सपा में शामिल होने पर केंद्रित रही। सांसद अखिलेश यादव ने सभा में उत्तर प्रदेश के सन 2012 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए तैयार रहने को कहा। सभास्थल पर उनसे हाथ मिलाने के दौरान कुछ देर के लिए अफरातफरी सी फैल गई।

इसलिए सांसद कबीर ने दिया इस्तीफा



बोलेः
मैं केवल जनता का गुलाम हूं
सांसदनिधि पर दखलंदाजी
ममता ने भी गलत किया


तृणमूल कांग्रेस और लोकसभा से इस्तीफा देने के बाद विद्रोही सांसद कबीर सुमन ने कहा कि मैं पार्टी का गुलाम नहीं हूं। मैं एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि हूं। मुझे पार्टी ने नहीं चुना है। मैं केवल जनता का गुलाम हो सकता हूं। इस्तीफे का कदम उन्हें इसलिए उठाना पड़ा है क्योंकि वह गुलाम बन कर काम नहीं कर सकते। उन्हें सांसद विकास निधि को किस तरह से खर्च करना है, इस बारे में पार्टी को निर्देशित करने की जरूरत नहीं है। उनके पास मुझे निर्देशित करने का कोई अधिकार नहीं है। केवल जनता निर्देश दे सकती है क्योंकि यह उसका धन है। प्रशासनिक अधिकारियों जैसे जिलाधिकारी को इस पर निगरानी रखनी होती है। कुछ पार्टी नेता विकास के कामों के लिए उनकी कोशिशों में बाधा डाल रहे हैं। मुझसे कहा जाता है कि आपको कुछ नहीं करना है, आपको केवल फाइल पर दस्तखत करना चाहिए। लेकिन मैंने ऐसा करने से मना कर दिया है। हो सकता है कुछ लोग पैसे बनाना चाहते हों। गैरसरकारी संगठनों की मार्फत जब मैंने परियोजनाओं का क्रियान्वयन आरंभ किया तो मेरे बारे में शिकायत की गई की मैं पार्टी को नजरअंदाज कर रहा हूं। मैंने जिस भी परियोजना को गैरसरकारी संगठनों की सहायता से आगे बढ़ाया, उसका परिणाम शानदार रहा। पार्टी द्वारा यह काम अच्छे तरीके से नहीं किया जा सकता। पार्टी के कुछ नेताओं द्वारा कथित तौर अपमानित किए जाने के बाद उन्होंने बीती रात पार्टी अध्यक्ष ममता बनर्जी को एक मोबाइल संदेश भेजकर पार्टी छोड़ने की इच्छा जताई थी। रेलमंत्री पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि हाल ही में मेरे निर्वाचन क्षेत्र में एक कार्यक्रम था। इस दौरान कुछ युवा उनके पास पहुंचे और खेल के मैदान के लिए निधि जारी किए जाने की मांग की। ममता बनर्जी ने मुझे नजरअंदाज करते हुए एक राज्यसभा सदस्य से अपने कोटे से राशि जारी करने को कहा। यह मेरे मुंह पर एक तमाचा था। इससे ज्यादा अपमान और बर्दाश्त नहीं किया जा सकता था।

तृणमूल सांसद कबीर ने दिया लोकसभा और पार्टी से इस्तीफा




पश्चिमी बंगाल की जादवपुर सीट से तृणमूल कांग्रेस के बागी सांसद कबीर सुमन ने पार्टी और लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। यह दावा लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक सुदीप बंदोपाध्याय ने किया है। उन्होंने बताया है कि गायक से नेता बने सुमन ने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी को एक एसएमएस भेजकर पार्टी और साथ-साथ लोकसभा की सदस्यता से भी अपने इस्तीफे की घोषणा की है। जादवपुर से सांसद सुमन ने यह एसएमएस बंदोपाध्याय और एक अन्य तृणमूल नेता मुकुल राय को भी भेजा है। इसमें कहा गया है, 'मैं अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस और लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं। आपको सफलता और अच्छे स्वास्थ्य की शुभकामना।'

राज्यसभा सीटः एन अनार, सौ बीमार

पंजाब में राज्यसभा की दो सीटों के लिए एक अनार, सौ बीमार की कहावत चरितार्थ हो रही है। यहां की दो राज्यसभा सीटों के लिए जुलाई में चुनाव होने वाले हैं। इन दोनों सीटों के लिए कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) से कई दावेदार सामने आ गए हैं। प्रदेश में राज्यसभा की सात सीटें हैं, जिनमें से पांच पर हाल ही में चुनाव हो चुका है। जुलाई में खाली होने वाली दो सीटों में से एक-एक सीट शिअद व कांग्रेस के खाते में जाएगी। शिअद से राज्यसभा के लिए कई उम्मीदवार दावा जता रहे हैं। पूर्व राज्यसभा सदस्य बलविंदर सिंह भूंदड़ के अलावा पूर्व सांसद प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा सर्वाधिक सशक्त प्रत्याशी माने जा रहे हैं। इनमें से एक को टिकट देना सीधे-सीधे दूसरे को नाराज करना होगा। शिअद इस समय ऐसी कोई नाराजगी मोल नहीं लेना चाहता, जिससे पार्टी में किसी भी स्तर पर कोई सुगबुगाहट पैदा हो। ऐसे में पार्टी किसी नए चेहरे को भी राज्यसभा की टिकट थमा सकती है। एसजीपीसी के प्रधान अवतार सिंह मक्कड़, पूर्व प्रधान कृपाल सिंह बडूंगर और मुख्यमंत्री के सलाहकार डा. दलजीत सिंह चीमा भी राज्यसभा टिकट के लिए खुद को फिट मानते हैं। लेकिन यह पार्टी अध्यक्ष एवं उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल पर निर्भर करेगा कि वह किसे संसद के ऊपरी सदन में भेजते हैं। सूत्रों के अनुसार, इसका फैसला वही करेंगे। वह किसी युवा अकाली नेता या महिला को भी राज्यसभा का टिकट दे सकते हैं। दूसरी ओर, कांग्रेस में भी राज्यसभा जाने के लिए कई दावेदार हैं। हालांकि, केंद्रीय मंत्री अंबिका सोनी के दोबारा पंजाब से चुना तय है, फिर भी यह चर्चा गर्म है कि श्रीमती सोनी इस बार पंजाब के बजाय किसी अन्य राज्य से राज्यसभा जाएंगी। ऐसे में पूर्व सांसद शमशेर सिंह दूलों, राणा गुरजीत सिंह व जगमीत बराड़ में से किसी का भाग्य उदय हो सकता है। इस बीच भाजपा ने भी राज्यसभा सीट के लिए अंदरखाते चर्चाएं शुरू कर दी हैं। उसका तर्क है कि पूर्व अकाली सरकार के कार्यकाल में भी भाजपा के दो सांसद राज्यसभा में थे। तब लाला लाजपत राय के साथ बीबी गुरचरण कौर राज्यसभा सदस्य बनी थीं। हालांकि, बीबी गुरचरण कौर को अकाली दल के बरजिंदर सिंह हमदर्द के इस्तीफे के बाद राज्यसभा भेजा गया था। भाजपा का कहना है कि उस समय अकाली दल के 75 विधायक, जबकि भाजपा के 18 विधायक थे। अब हालात बदले हुए हैं। इस समय अकाली दल के 49 और भाजपा के 19 विधायक हैं। एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि अकाली दल-भाजपा विधायकों की संख्या के अनुपात में आए बदलाव के बाद तो भाजपा का राज्यसभा के लिए सदस्य वैसे ही बढ़ जाने चाहिए। अब जुलाई में ही यह स्पष्ट होगा कि अकाली दल अपनी सहयोगी भाजपा के लिए सीट छोड़ता है या नहीं।

सांसद योगी ने किया आरक्षण का विरोध

गोरखपुर (.प्र.) के प्रखर भाजपा सांसद एवं गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी योगी श्रीआदित्यनाथ ने अपनी आवाज बुलंद करते हुए कहा है कि मजहबी आरक्षणअसंवैधानिक है। यह भारत राष्ट्र के खिलाफ एक षडयंत्र है। यह भारत की अस्मिताके साथ एक क्रूर मजाक है, जिसका जमकर विरोध किया जाएगा।
उन्होंने उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में पिछले दिनों एक विशाल जनसभा को संबोधितकरते हुए कहा कि आंध्र प्रदेश सरकार ने तो वोट की राजनीति के वशीभूत होकर मुसलमानों को चार प्रतिशतआरक्षण देने का मसला पेश किया था। उसके इरादे पर अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुहर लगाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।धर्म अथवा मजहब के आधार पर आरक्षण संविधान की मूल भावनाओं के विरुद्ध है। इस प्रकार के संविधान विरोधीनिर्णयों से केवल दलित हिंदुओं के हितों पर कुठाराघात होगा, अपितु राष्ट्र की एकता अखंडता के लिए भी यहएक खतरनाक संकेत है। सांसद योगी ने कहा कि आंध्र प्रदेश की सरकार द्वारा मुसलमानों के लिए गोषित चारप्रतिशत आरक्षण को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय (हैदराबाद) की संविधान पीठ ने रोक लगा दी थी, लेकिनउच्चतम न्यायालय द्वारा मजहबी आरक्षण को बहाल करना दिया गया है। उन्होने कहा कि आरक्षण की मूलभावना सामाजिक अस्पृश्यता पर आधाररित है। अस्पृश्यता का कलंक सिर्फ हिंदू धर्म में ही है। फिर भी यह जानतेहुए कि सन् 1947 में इस देश के विभाजन का कारण मजहबी उन्माद रहा है, ऐसा किया गया है। मजहब या धर्म केआधार पर आरक्षण देना उसी मजहबी उन्माद को बढ़ावा देने जैसा है, जिसके कारण देश विभाजित हुआ था। यहभारत और उसकी प्राचीन संस्कृति के खिलाफ एक ऐसा षडयंत्र है, जिसका यदि समय पर विरोध नहीं हुआ तोविश्व की सबसे प्राचीनतम संस्कृति वाला देश भारत अपनी पहचान, और संप्रभुता को खो देगा। सांसद योगी ने कहाकि आश्चर्यजनक है कि सन 1961 में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं.जवाहर लाल नेहरू ने, सन 1948 में मोरारजीदेसाई ने, सन 1980 में श्रीमती इंदिरा गांधी ने, सन 1988 में राजीव गांधी ने और सन 2001 में अटल बिहारीवाजपेयी ने मजहबी आरक्षण की मांग को सिरे से नकार दिया था तथा समय-समय पर उच्चतम न्यायालय ने भीकई फैसलों में मजहबी आरक्षण की मांग को खारिज किया है। कांग्रेस नेतृत्व की वर्तमान यूपीए सरकार ने भी सन्में संवैधानिक संशोधन के माध्यम से इस देश के दलितों और पिछड़ी जाति के नागरिकों को ईसाई औरमुस्लिम संस्थाओं में आरक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से वंचित कर दिया था। अब यह मामला नए सिरे जनता कोआंदोलित कर रहा है। इसका जमकर विरोध किया जाएगा।
2005

अमिताभ पर अमर का फिर यू-टर्न




सांसद अमर सिंह ने पुणे पहुंच कर अमिताभ बच्चन मामले पर यू टर्न ले लिया है। उनका बयान कांग्रेस के विरोध में और अमिताभ बच्चन के पक्ष में गया है। उन्होंने बिग बी की जोरदार तरफदारी करते हुए कहा है कि अमिताभ कैसे बता सकते हैं कि गुजरात मामले में कौन दोषी हैं। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है और बिग बी कोर्ट के मामले पर कुछ नहीं कह सकते।
उल्लेखनीय है कि दो दिन पूर्व क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय सम्मेलन को दिल्ली में संबोधित करते हुए अमर सिंह ने सांसद जया बच्चन के बयानों पर तीखी टिप्पणी व्यक्त की थी। उनके उस बयान को लेकर राजनीतिक हलकों में कहा जाने लगा था कि अमर सिंह प्रकारांतर से कांग्रेस की ओर खिसकते जा रहे हैं, क्योंकि उससे पहले उन्होंने सोनिया गांधी और राहुल की प्रशंसा में कसीदे पढ़े थे। अमिताभ परिवार कांग्रेस के निशाने पर और अमर सिंह भी जया-अमिताभ पर निशाना साध रहे हैं। जया पर तीर साधने के दौरान ही अमर ने अमिताभ पर भी वार करते हुए कहा था कि वह इलाहाबाद से सांसद चुने के बाद बोफोर्स मामला उभरने पर इस्तीफा देकर कांग्रेस से अलग हो गए थे। अब यू-टर्न लेते हुए अमर सिंह और अमिताभ बच्चन ने पुणे में सिंबॉयसिस के एक कार्यक्रम में शिरकत की। अमर सिंह ने बिग बी को गुजरात का ब्रांड एंबेसडर बनाने पर उनका बचाव किया । यह पहला मौका था कि अमिताभ पर शुरू हुए विवाद पर अमर सिंह कोई बयान दे रहे थे। कांग्रेस ने अमिताभ बच्चन पर निशाना साधते हुए कल सवाल किया था कि क्या वे 2002 के ‘सामूहिक नरसंहार में नरेन्द्र मोदी की भूमिका’ का समर्थन करते हैं या इसकी निंदा करते हैं। अमर सिंह बीती रात ही पुणे अमिताभ के पास पहुंच गए थे। इस बात का खुलासा अमिताभ ने अपने ब्लॉग में किया था। अमिताभ बच्चन और अमर सिंह ने बीती रात पुणे में एक डिनर के दौरान मुलाकात की। ब्लॉग पर बिग बी ने पुणे के साहित्यिक सम्मेलन का जिक्र किया और अपने पिताजी हरिवंश राय बच्चन का भी जिक्र किया। अमर सिंह का जिक्र करते हुए बिग बी ने लिखा कि मैंने और अमर सिंह जी ने साथ में डिनर किया वह सिंबॉयसिस फंक्शन में मुझसे मिलने के लिए आए हैं। उधर, राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी ने अमिताभ बच्चन को दिल्ली में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों का ब्रांड एंबेसडर बनाए जाने की अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा है कि हम खेलों का ब्रांड एंबेसडर बनाने के लिए किसी युवा चेहरे को देख रहे हैं। इससे पहले गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और दिल्ली भाजपा नेता विजय मल्होत्रा ने अमिताभ को राष्ट्रमंडल खेलों का ब्रांड एंबेसडर बनाने की मांग की थी।

Monday, March 29, 2010

राहुल की रैली पर राजनीति थमी



आंबेडकर नगर जिला प्रशासन ने अंतत: राहुल गांधी की रैली के लिए मंजूरी दे दी है। बाबा साहब भीमराव आंबेडकर जयंती के अवसर पर 14 अप्रैल को कांग्रेस ने आंबेडकर नगर में रैली का आयोजन किया है, जिसमें राहुल गांधी मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होंगे और कांग्रेस यात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे। उधर, इसी दिन बीएसपी ने यूपी के सभी जिला मुख्यालयों पर महिला आरक्षण बिल के विरोध में प्रदर्शन करने का फैसला लिया है। कांग्रेस महासचिव एवं अमेठी के सांसद राहुल गांधी की राह में ये बसपा का नया रोड़ा माना जा रहा था। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और बसपा के बीच रस्साकशी तो चल ही रही है। इस बार मुद्दा अम्बेडकरनगर में डा0 भीमराव अम्बेडकर की जयन्ती 14 अप्रैल को आयोजित कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी की रैली को माना जा रहा था। इस रैली स्थल को लेकर कांग्रेस और उत्तर प्रदेश में सत्तारुढ़ बहुजन समाज पार्टी के बीच खींचतान प्रशासनिक स्तर पर चल रही थी। कांग्रेस प्रस्तावित स्थल पर ही रैली करने पर अमादा थी, जबकि बसपा का कहना था कि उस स्थल के पास स्थित डा0 अम्बेडकर की प्रतिमा पर हर वर्ष 14 अप्रैल को कार्यक्रम किया जाता है। पुलिस अधीक्षक आर.के.स्वर्णकार ने दो दिन पूर्व कहा था कि जिला कांग्रेस कमेटी ने हवाई पट्टी पर रैली की अनुमति मांगी है लेकिन प्रस्तावित रैली स्थल से 50-60 मीटर की दूरी पर ही डा0 अम्बेडकर की प्रतिमा है, जहां हर वर्ष अम्बेडकर जयन्ती पर बसपा कार्यक्रम आयोजित करती है। ऐसे में कांग्रेस को वहां रैली की अनुमति देना मुश्किल है। कांग्रेस को रैली के लिए तीन अन्य स्थल सुझाए गए। इनमें शिवबाबा, मण्डी समिति और पुलिस लाइन तथा हवाई पट्टी के बीच का स्थान शामिल था। कांग्रेस ने सुझाए इन स्थानों के बारे में खामोशी साधे रखी। उन्हीं दिनों जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रामकुमार पाल का कहना था कि प्रशासन ने उन्हें राहुल के रैली स्थल के संबंध में कोई लिखित अनुमति अभी तक नहीं दी है। उन्हें सूचना मिली है कि प्रशासन रैली स्थल बदलवाने की कोशिश में लगा है। प्रस्तावित स्थल की यदि अनुमति नहीं मिलती है तो वह इसकी सूचना हाईकमान को देंगे और अगली कार्रवाई के लिए हाईकमान के निर्देशों का इंतजार करेंगे। यदि जिला प्रशासन प्रस्तावित स्थल पर रैली की अनुमति नहीं देता है तो माना जाएगा कि राज्य सरकार के दबाव में प्रशासन ने ऐसा किया। बहरहाल, कहा चाहे कुछ भी जाए, इन दिनों कदम-कदम पर बसपा और कांग्रेस ऐसी रणनीतियां बनाकर चल रही हैं, जिसका नफा-नुकसान आगामी विधानसभाई चुनाव के राजनीतिक निहितार्थ लिए हो। फिलहाल रैली मामले पर बसपा के इशारे पर अम्बेडकर नगर प्रशासन ने पांव पीछे खींच लिए हैं। अब राहुल की रैली का रास्ता साफ हो चला है।

सांसद कलराज ने कहाः वरुण गांधी को मिला अपनी प्रतिभा का पुरस्कार



लखनऊ में भाजपा के नवनियुक्त राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं सांसद कलराज मिश्र कहते हैं कि नितिन गडकरी टीम में यूपी को काफी प्रमुखता दी गई है। महामंत्री संगठन रामलाल उप्र के ही हैं। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में उप्र का प्रतिनिधित्व बढ़ा है, ऐसे में यह कहना उचित नहीं होगा कि उत्तर प्रदेश की उपेक्षा की गई। जब उनसे पूछा गया कि क्या राहुल गांधी की काट के लिए वरुण गांधी को आगे किया गया है, कलराज ने कहा कि ऐसी बात नहीं, वरुण अपनी प्रतिभा के नाते आगे बढ़ रहे हैं। भविष्य में भी पार्टी ऐसे युवाओं को आगे बढ़ाती रहेगी। बातचीत में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा कि अंजू गुप्ता ने अपनी गवाही में कहा है कि लालकृष्ण आडवाणी ने उत्तेजना पैदा करने वाला भाषण दिया जबकि आडवाणी का उस दिन कोई भाषण ही नहीं हुआ था। बकौल कलराज मिश्र, '' उस दिन मंच पर मैं भी मौजूद था। अंजू गुप्ता मेरे बगल में ही बैठी थीं लेकिन मुझे याद नहीं आ रहा है कि आडवाणी जी ने उस दिन कोई भाषण भी दिया था। वीडियो टेप मौजूद हैं, जिनसे इस बात की पुष्टि की जा सकती है कि किसने-किसने भाषण दिया।'' कलराज मिश्र ने कहा कि अंजू गुप्ता का यह कहना भी गलत है कि कारसेवकों को भड़काया गया। कलराज मिश्र के अनुसार, ''जब कारसेवक गुम्बद पर चढ़ गए और उसे गिराने लगे तो सभी ने रोका।'' भाजपा उपाध्यक्ष ने कहा कि यह सही है कि उस दिन सभी लोग वहां मंदिर बनाने के लिए गए थे। एक सुनिश्चित भूखण्ड पर कारसेवा होनी थी। बाद में जो कुछ हुआ आस्था के ज्वार कारसेवकों की उत्तेजना का परिणाम था। अंजू गुप्ता ने पूर्वाग्रह से ग्रसित मानसिकता से गवाही दी, जिसे झूठ कहने में उन्हें कोई हिचक नहीं है। कलराज मिश्र से सवाल हुआ कि एक आईपीएस अधिकारी इस तरह की गलत बयानी क्यों करेगा, कलराज मिश्र ने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से अंजू गुप्ता को जानते हैं, उनकी छवि एक अच्छे अफसर की है लेकिन इस समय में वह केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर तैनात हैं, ऐसे में उनकी मनोस्थिति को अच्छी तरह से समझा जा सकता है। नरेंद्र मोदी को एसआईटी द्वारा तलब किये जाने और गुजरात दंगों के सम्बंध में उनकी गवाही के प्रकरण पर कलराज मिश्र ने कहा कि उनकी पार्टी में एक छोटे कार्यकर्ता से लेकर बड़े से बड़े नेता तक देश के संविधान और न्यायपालिका के प्रति आस्थावान हैं। नरेंद्र मोदी ने न्यायालय के आदेशों का पालन किया है। गुजरात के विकास से चिढ़ने वाले लोग जो नरेंद्र मोदी पर अनर्गल आरोप लगाते रहे हैं, न्यायालय का फैसला आने के बाद उनके मुंह पर हमेशा के लिए ताले लग जाएंगे। नोटों की माला प्रकरण पर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा जब प्रदेश के हजारों लोगों को एक वक्त की रोटी नसीब न हो रही हो तो मुख्यमंत्री का नोटों की माला पहनना गरीबों को मुंह चिढ़ाने जैसा है। भाजपा उपाध्यक्ष ने कहा कि उनकी पार्टी धर्म आधारित आरक्षण के खिलाफ है। कांग्रेस की केंद्र सरकार मुस्लिम तुष्टिकरण नीति के तहत मुसलमानों को आरक्षण देने के प्रयास में है, जिसका हरहाल में विरोध होगा।

सांसद जया बच्चन की नई मुसीबत



समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन एक बार फिर मुसीबत में पड़ सकती हैं। 24 जून 2008 को राज्य सभा चुनाव के निर्वाचन अधिकारी के रूप में तत्कालीन प्रमुख सचिव विधानसभा का आदेश है कि ''श्रीमती जया बच्चन, निवासी प्रतीक्षा, नार्थ साउथ रोड नम्बर 10, जुहू मुंबई के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराकर कार्रवाई प्रारम्भ की जानी चाहिए।'' अभी तक इस आदेश पर अमल नहीं हुआ है। ऐसे में अब सरकार से जन सूचना अधिकार के तहत यह सवाल हुआ है कि वह इस आदेश पर अमल करने से क्यों बच रही है? मुख्य सूचना आयुक्त और केंद्रीय निर्वाचन आयोग के समक्ष भी प्रत्यावेदन दाखिल हुए हैं। सूत्रों के अनुसार सरकार ने आनन-फानन में सारे दस्तावेज तलब किए हैं। विधिक राय ली जा रही है। जया बच्चन ने वर्ष 2006 में जब राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया था तो शपथ पत्र में अपने पति के नाम की बाराबंकी की जमीन का उल्लेख नहीं किया था। इसको लेकर स्थानीय कांग्रेसी नेता अमीर हैदर ने 28 जून 2006 को केंद्रीय निर्वाचन आयोग में शिकायत की। आयोग ने इस प्रकरण को निर्वाचन अधिकारी के रूप में उत्तर प्रदेश विधानसभा के प्रमुख सचिव के पास भेज दिया। लम्बी जांच पड़ताल, तर्क-वितर्क के बाद प्रमुख सचिव, विधानसभा ने 24 जून 2008 को अपना फैसला सुनाया और लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया, '' श्रीमती जया बच्चन ने दिनांक एक जून 2006 को रिटर्निग आफीसर को दिए गए, शपथ पत्र में सही तथ्यों का उल्लेख नहीं किया है और उसमें श्री अमिताभ बच्चन के नाम की दो जमीनों का उल्लेख न करने के तथ्यों को छिपाया है। यदि नामांकन पत्र के साथ रिटर्निग आफीसर को दाखिल किए गए शपथ पत्र में अभ्यर्थी द्वारा सही तथ्य नहीं दिए गए हैं तो भारतीय दण्ड विधान की धारा 177 के तहत दण्डनीय अपराध है। तदनुसार श्रीमती जया बच्चन, निवासी प्रतीक्षा, नार्थ साउथ रोड नम्बर 10, जूहू मुंबई के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराकर कार्रवाई प्रारम्भ की जानी चाहिए।'' अमीर हैदर का कहना है कि उसके बाद से वह लगातार लखनऊ के वरिष्ठ अधीक्षक से सम्पर्क कर यह जानने की कोशिश करते रहे कि एफआईआर कब दर्ज होगी? एफआईआर दर्ज करने में क्या अड़चन है? बकौल अमीर हैदर, उन्हें जब कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला तब उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से आरटीआई एक्ट के तहत जानकारी मांगी, निर्धारित समय के अंदर जवाब न मिलने पर उन्होंने अपीलीय अधिकारी आईजी लखनऊ के यहां प्रत्यावेदन दिया लेकिन वहां से भी कोई जानकारी नहीं दी गई। इसकी वजह से उन्हें सूचना आयोग के समक्ष याचिका दायर करने का अधिकार मिल गया। अमीर हैदर ने आयोग में तो याचिका दायर की है, साथ ही इस मामले पर सरकार को घेराबंदी शुरू कर दी है। उन्होंने शासन स्तर पर एक प्रत्यावेदन देकर सरकार से जानना चाहा है कि आखिर वह वजह क्या है कि एफआईआर दर्ज नहीं हो रही है? उन्होंने केंद्रीय निर्वाचन आयोग के समक्ष भी प्रत्यावेदन भेजा है। उनका कहना है कि उन्हें सिर्फ इस सवाल का जवाब चाहिए कि आखिर जया बच्चन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से क्यों बचा जा रहा है?

Sunday, March 28, 2010

यूपी के मुसलमानों को जोड़ेंगे सांसद अजहरुद्दीन




भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और सांसद अजहरूद्दीन का मानना है कि क्रिकेट की अपेक्षा राजनीति काफी कठिन है। उनका कहना है कि क्रिकेट की पिच पर गेंदबाज, क्षेत्र रक्षक और अम्पायर सभी सामने रहते हैं। अब उनके दो ही मकसद हैं, क्रिकेट की खबर रखना और यूपी के मुसलमानों को कांग्रेस से जोड़ना। उनके बारे में पता रहता है। खिलाड़ी आराम से संभलकर बल्लेबाजी करता रहता है लेकिन राजनीतिक पिच पर बॉलर, फील्डर अक्सर अज्ञात होते हैं। बल्लेबाज को काफी सूझबूझ के साथ बैटिंग करनी पड़ती है। वैसे भी क्रिकेट में एक उम्र के बाद कुछ नहीं कर सकते और राजनीति ताउम्र हो सकती है। क्रिकेट के दौरान लगे आरोपों का जिक्र नहीं करने का आग्रह करते हुए अजहर कहते हैं कि वह अब उस से ऊबर कर काफी आगे निकल गए हैं। फिर भी वह अब राजनीति के माध्यम से ही समाज की सेवा करना चाहते हैं। क्रिकेट में उनकी दिलचस्पी मरते दम तक रहेगी क्योंकि इसी खेल ने उन्हें पहचान दिलाई। अब उनका पूरा ध्यान अल्पसंख्यकों को कांग्रेस से जोड़ने में है। इसके लिए आने वाले दिनों में वह उत्तर प्रदेश में जगह-जगह जाएंगे। वह मुसलमानों के बीच जाएंगे और उन्हें समझाएंगे कि कांग्रेस में ही उनका हित सुरक्षित है।

ये क्या हो रहा सोनिया के क्षेत्र में



कामन इंटीग्रेटेड पुलिस एप्लीकेशन (सीपा) प्रोजेक्ट यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के क्षेत्र रायबरेली में कछुआ चाल चल रहा है। महिला थाना जहां कंप्यूटरीकरण से वंचित है वहीं आठ थानों में कंप्यूटर शोपीस बनकर रह गये हैं। जिले में 19 अक्टूबर 2007 को सीपा परियोजना का शुभारंभ हुआ था। प्रदेश के तत्कालीन सहकारिता मंत्री सरकार स्वामी प्रसाद मौर्य ने शहर कोतवाली में कंप्यूटर से पहली एफआईआर दर्ज करके परियोजना का शुभारंभ किया था। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मोहित अग्रवाल के निर्देशन में जिले के 18 थानों में प्रथम चरण में कंप्यूटर लगे थे। जिले में कुल 23 थाने हैं। उस समय 22 थाने ही थे। महिला थाना दिसंबर 2008 में अस्तित्व में आया। डीह, सरेनी, शिवगढ़ व डलमऊ थानों में प्रथम चरण में कंप्यूटर नहीं स्थापित हो पाये थे। इनमें द्वितीय चरण में कंप्यूटर स्थापित करा दिए गए हैं। महिला थाना अब भी वंचित है। संसदीय क्षेत्र के निर्मल गांवों में भी गंदगी फैलाने से बाज नहीं आये अफसर। इन अधिकारियों ने मानकों को ताख पर रख अपात्र गांवों को निर्मल ग्राम पुरस्कार दिलवा दिये। यह पुरस्कार किसी और ने नहीं बल्कि देश के राष्ट्रपति ने वर्ष 2008 में हरियाणा के हिसार जिले में बाटे थे। क्षेत्र के गावों में अभी मानक के अनुसार शौचालयों का निर्माण ही नहीं कराया गया है।

दो सांसदों की सियासत सड़क पर


रविवार की सियासत सांसद अमर सिंह और सांसद जया बच्चन के नाम रही। जया बच्चन ही क्यों, पूरे बच्चन परिवार के नाम। दो दिन पहले सपा सांसद जया बच्चन जो कुछ दिल्ली में सांसद ठाकुर अमर सिंह को लेकर टिप्पणी कर गई थीं या पहले उनके बारे में जो कुछ कह चुकी थीं, अमर ने आज अपनी दिल्ली रैली में उसका थोक-जवाब दे डाला।


महाकवियत्री
महादेवी वर्मा ने कभी राजस्थान के एक मंच से तत्कालीन मुख्यमंत्री पहाड़िया के बहाने कहा विक्षुब्ध होकर कहा था कि आज की राजनीति विक्षिप्त हो गई है। उन दिनों की महादेवी की ये टिप्पणी काफी समय तक सुर्खियों में रही और वह आज की राजनीति पर भी ज्यों-का-त्यों मुहावरे जैसी लागू होती है। इन दिनों भाजपा, कांग्रेस और सपा की पहचान ओढ़े देश की राजनीतिक सुर्खियों रविवार को यक-ब-यक एक यू टर्न ले लिया। कांग्रेसी सियासत के रू-ब-रू खड़े अमिताभ बच्चन उधर महाराष्ट्र में अपने य़शस्वी पिता हरिवंश राय बच्चन की ’सांप’ कविता के बहाने लक्ष्य पर तीखा निशाना साध रहे थे, इधर दिल्ली में उनकी सांसद पत्नी जया बच्चन पर सांसद अमर सिंह के तीर चल रहे थे। संसद की सियासत सड़क पर थी, देश बड़े गौर से सुन रहा था। अमर सिंह के बारे में दो दिन पूर्व जया ने कहा था कि मैं उन्हें मिस कर रही हूं। या उन्होंने पहले कहा था कि अमर सिंह को पार्टी में रहकर सब बर्दाश्त करना चाहिए था। आज अमर ने दिल्ली में क्षत्रिय महासभा के रैली-मंच से उसका जवाब देते हुए कहा कि जया बच्चन जहां भी हों, सुन लें कि मैं भी उन्हें मिस कर रहा हूं। मेरे साथ यहां मंच पर सांसद जयाप्रदा हैं, मनोज तिवारी हैं, लेकिन वह (जया बच्चन) नहीं हैं। दूसरा तीर अमर ने अमिताभ बच्चन पर साधा। बोले कि जया बच्चन मुझे सपा में रहकर सब बर्दाश्त करने की नसीहत देती हैं, लेकिन उनके पति अमिताभ बच्चन इलाहाबाद से सांसद चुने जाने के बाद अपने जिगरी दोस्त राजीव गांधी का साथ छोड़कर भाग खड़े हुए थे। अर्थात उन्हें भी तो कांग्रेस में रहकर बोफोर्स मामले पर राजीव गांधी का साथ देते हुए सब बर्दास्त करना चाहिए था। आज सांसद अमर की इस टिप्पणी के बाद राजनीतिक हलकों में कई तरह की बातें की जाने लगी हैं। कई तरह के सवाल अपने समाधान के लिए बेचैन हो चले हैं। मसलन, क्या अमर सिंह ने एक बार फिर अपने आज के बयान से कांग्रेस की ओर बढ़ते झुकाव का खुलासा किया है? यानी क्या निकट भविष्य में वह कांग्रेस के और निकट जाने वाले हैं? क्या अमर सिंह चाहते थे कि जब उन्हें समाजवादी पार्टी से निकाला गया तो सांसद जया बच्चन भी सांसद जया प्रदा के साथ खुलकर उनके मोरचे में शामिल हो जातीं? और वह कसक आज तक उनके मन में दबी हुई थी, आज फूट पड़ी? लेकिन कहा जाता है कि जया बच्चन ने तो बड़ी शालीनता से अमर सिंह का, जहां तक संभव हो सकता था, साथ दिया ही। रामपुर, आजमगढ़ की रैलियों में उनके मंच तक गई तो क्या ये बात सपा अध्यक्ष एवं सांसद मुलायम सिंह को नागवार नहीं गुजरी होगी लेकिन उन्होंने या सपा के किसी भी बड़े नेता ने तो जया के बारे में ऐसा कुछ नहीं कहा। जब कि पार्टी अनुशासन की दृष्टि से सपा को अमर सिंह से ज्यादा सख्त होना चाहिए था। जयाप्रदा अमर सिंह के साथ इसलिए खुलकर चल पड़ीं, क्योंकि वह भी सपा से निकाली जा चुकी थीं और उनके पास अमर सिंह के साथ हो लेने के अलावा और कोई चारा नहीं था, लेकिन जया बच्चन के साथ तो ऐसी कोई मजबूरी नहीं थी, फिर भी वह जहां तक संभव था, अमर का साथ दे ही रही थीं। हां, अमर सिंह ने आज जरूर अपने तीखे भाषण से जया बच्चन को अपने सियासी दायरे से हमेशा के लिए दूर झटक दिया है। निश्चित ही ये बात सपा के लिए फायदे की रही। अब साथ जया बच्चन अपने इस पूरे संसदीय कार्यकाल तक सपा में बनी रहें। वह कल कह भी रही थीं कि मैं पूरा संसद का अपना ये कार्यकाल पूरा करना चाहती हूं। उनके छह महीने शेष बचे हैं। उनकी ये मुराद आज अमर सिंह की टिप्पणी से पूरी होती दिख रही है। उधर, महाराष्ट्र के साहित्य सम्मेलन में सांसद जया बच्चन के पति एवं पूर्व सांसद अमिताभ बच्चन ने जो कुछ कहा है, उससे लगता है कि अब वह पूरी तरह कांग्रेस विरोधी रुख के कायल होते जा रहे हैं। इधर भाजपा-शिवसेना नेताओं, सांसद रूड़ी, मल्होत्रा, मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, बाला साहब ठाकरे आदि को जो लगातार बिग बी के पक्ष में बयान आ रहे हैं, भाजपा के निकट रहे अनुपम खेर ने पिछले दिनों जो अमिताभ के समर्थन की बात कही, जया बच्चन ने मध्य प्रदेश में नर्मदा गीत को अमिताभ द्वारा स्वर दिए जाने की जो बात कही, उससे लगता है कि मिले सुर मेरा तुम्हारा वाली कहावत रंग पकड़ती जा रही है। हां, ऐसे में एक बात जरूर बहुत ही गौरतलब हो सकती है कि सांसद शत्रुघ्न सिह्ना को शायद बिग बी का भाजपा प्रेम रास न आ रहा हो। न ही वह चाहेंगे कि एक अभिनेता के रूप में कोई और उनसे बड़े कद का अभिनेता भाजपा भवन में दाखिल हो जाए, इससे उनकी पार्टी में एकछत्र छवि को थोड़ी मायूसी पहुंच सकती है। शत्रु ने पिछले दिनों टीम गडकरी पर जिस तरह लगातार प्रहार किए हैं, निश्चित ही भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी भीतर ही भीतर अमिताभ की भाजपाई-निकटता से अभिभूत हो आगे किसी और अनुकूल अवसर की प्रतीक्षा करना शुरू कर चुके होंगे, जब शत्रुघ्न की टिप्पणियों का अपने आप जवाब अमिताभ के बड़े कद के रूप में मिल जाए। आज की राजनीतिक सरगर्मियां कुछ-एक और मायने समझा गई हैं। मसलन, अमर सिंह के कांग्रेसोन्मुखी तेवर सपा-कांग्रेस की भविष्य में दूरियां बढ़ाने के सबब बन सकते हैं। ये सपा के लिए नुकसानदेह भले लगे, यूपी चुनावों में उसके लिए फायदे की बात हो सकती है। अमर सिंह समय से पहले इस बात को (महिला आरक्षण बिल मामले पर) भांप कर अपना कांग्रेसी स्टैंड प्रकट करने लगे हैं। यह उनकी यूपी की राजनीति के लिए घातक हो सकता है। जैसे यूपी में भाजपा-बसपा की परस्पर तरफदार चुप्पियां उनके नुकसानदेह भविष्य की चुगली-सी जान पड़ती हैं।

संसद की कैंटीन में तर माल




आम जनता भले ही रोज बढ रही महंगाई से त्रस्त हो मगर संसद भवन की कैंटीन में परोसे जा रहे भोजन की कीमत पर इसका कोई असर नजर नहीं आया है और सांसदों तथा अन्य लोगों को भारी सब्सिडी के सहारे तर माल कौड़ियों के भाव परोसा जा रहा है। रेल मंत्रालय द्वारा संसद भवन परिसर में संचालित चार कैंटीनों में दाल, दो सब्जी, चार चपाती, चावल, दही तथा सलाद वाली शाकाहारी थाली मात्र साढ़े 12 रुपये में उपलब्ध है। इसके अलावा मांसाहारी थाली 22 रुपये में, दही-चावल 11 रुपये, वेज बिरयानी आठ रुपये, फिश करी और चावल 13 रुपये, राजमा चावल सात रुपये, टोमेटो राइस सात रुपये, फिश फ्राई 17 रुपये, चिकन करी साढे 20 रुपये, चिकन मसाला साढ़े 24 रुपये तथा बटर चिकन 27 रुपये तो चिकन बिरयानी 34 रुपये में उपलब्ध है। दाल की कीमतों को लेकर जहां पूरे देश में हाय तौबा मच रही है, वहीं संसद भवन में एक कटोरी दाल मात्र डेढ़ रुपये में उपलब्ध है। इसी प्रकार एक कटोरी खीर साढ़े पांच रुपये, फ्रूट क्रीम सलाद सात रुपये तथा छोटा फ्रूट केक का स्वाद मात्र साढ़े नौ रुपये में चखा जा सकता है।

सांसद रविशंकर शंकर अभिभूत हुए




पटना में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री व मुख्य प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद का कहना है कि 2014 में केंद्र में फिर से एनडीए की सरकार बनेगी। फिर वह कहते हैं कि मैं कोई भविष्यवक्ता नहीं। इसके बाद उनकी टिप्पणी होती है कि इस वर्ष फिर बिहार में हमारी ही सरकार बनेगी। भाजपा का राष्ट्रीय महामंत्री बनने के बाद पहली बार बिहार पहुंचने पर जब उनका जोरदार स्वागत होता है, वह अभिभूत होते हुए कहते हैं कि जिस तरह 15-16 जिलों से आये कार्यकर्ताओं ने मेरा गर्मजोशी से स्वागत किया, वह दर्शाता है कि वे मुझे अपने बीच का मानते हैं। यही मेरी सबसे बड़ी पूंजी है। हवाई अड्डे से चिलचिलाती धूप में खुली जिप्सी पर सवार रविशंकर ने हाथ हिला कर रास्ते भर लोगों का अभिवादन स्वीकार करने के बाद पार्टी कार्यालय में आयोजित अभिनंदन समारोह में कहा कि देश की जनता हमारी ओर आशा भरी नजरों से देख रही है। भाजपा में आंतरिक तौर पर कमजोरी हो सकती है मगर देश की अखंडता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता में कोई कमी नहीं है। समारोह में पूर्व सांसद डा.संजय पासवान आदि भी मौजूद रहे।

सांसद अखिलेश ने किया बसपा पर प्रहार




लखनऊ में समाजवादी पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष एवं कन्नौजके सपा सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि जब तक सत्ता पिछडो़ औरकिसानों के हाथों में नहीं आएगी, तब तक सामाजिक न्याय हासिल नहींहोगा और सामाजिक विषमता को मिटाना समाजवाद का सपना है। प्रदेशसपा अध्यक्ष ने कहा कि राज्य की बसपा सरकार के मन में जनता कीतकलीफों के लिए हमदर्दी नहीं है। उसे पत्थरों, स्मारकों और पार्को से प्रेमहैं। जमीन पर कब्जा करने और राजकोष की लूट का इस सरकार ने रिकार्डबनाया हैं। यादव ने यहां कुर्मी महासभा द्वारा आयोजित होली मिलनसमारोह में कहा कि असमानता को समाप्त करना समाजवाद का लक्ष्य हैं।उन्होंने कहा कि महंगाई बढाकर लोगों की जिंदगी दूभर करने के लिए केन्द्रऔर उत्तर प्रदेश की सरकारें जिम्मेदार हैं। उन्होंने इसके अलावा राजभर में बियार समाज की बैठक को सम्बोधितकरते हुए कहा कि राज्य में अगली सरकार सपा की ही बनेंगी और तब उनको पूरा न्याय मिलेगा और इस समाजको आर्थिक, समाजिक और राजनीतिक पिछडे़पन से मुक्ति दिलाई जाएंगी।

राहुल की राह में बसपा का नया रोड़ा




कांग्रेस महासचिव एवं अमेठी के सांसद राहुल गांधी की राहमें ये बसपा का नया रोड़ा हो सकता है। उत्तर प्रदेश मेंकांग्रेस और बसपा के बीच एक और रस्साकशी का आगाजहो चुका है। इस बार मुद्दा है अम्बेडकरनगर में डा0 भीमराव अम्बेडकर की जयन्ती 14 अप्रैल को आयोजितकांग्रेस महासचिव राहुल गांधी की रैली। इस रैली स्थल कोलेकर कांग्रेस और उत्तर प्रदेश में सत्तारुढ़ बहुजन समाजपार्टी के बीच ठन गई है। कांग्रेस प्रस्तावित स्थल पर ही रैली करने पर अमादा है जबकि बसपा का कहना है कि उसस्थल के पास स्थित डा0 अम्बेडकर की प्रतिमा पर हर वर्ष 14 अप्रैल को कार्यक्रम किया जाता है। पुलिस अधीक्षकआर.के.स्वर्णकार के अनुसार जिला कांग्रेस कमेटी ने हवाई पट्टी पर रैली की अनुमति मांगी है लेकिन प्रस्तावितरैली स्थल से 50-60 मीटर की दूरी पर ही डा0 अम्बेडकर की प्रतिमा है, जहां हर वर्ष अम्बेडकर जयन्ती पर बसपाकार्यक्रम आयोजित करती है। ऐसे में कांग्रेस को वहां रैली की अनुमति देना मुश्किल है। कांग्रेस को रैली के लिएतीन अन्य स्थल सुझाए गए हैं। इनमें शिवबाबा, मण्डी समिति और पुलिस लाइन तथा हवाई पट्टी के बीच कास्थान शामिल है। कांग्रेस ने सुझाए इन स्थानों के बारे में अभी कुछ नहीं कहा है। दूसरी आ॓र जिला कांग्रेस कमेटी केअध्यक्ष रामकुमार पाल का कहना है कि प्रशासन ने उन्हें राहुल के रैली स्थल के संबंध में कोई लिखित अनुमतिअभी तक नहीं दी है। उन्हें सूचना मिली है कि प्रशासन रैली स्थल बदलवाने की कोशिश में लगा है।
प्रस्तावित स्थल की यदि अनुमति नहीं मिलती है तो वह इसकी सूचना हाईकमान को देंगे और अगली कार्रवाई केलिए हाईकमान के निर्देशों का इंतजार करेंगे। यदि जिला प्रशासन प्रस्तावित स्थल पर रैली की अनुमति नहीं देताहै तो माना जाएगा कि राज्य सरकार के दबाव में प्रशासन ने ऐसा किया। बहरहाल, कहा चाहे कुछ भी जाए, इनदिनों कदम-कदम पर बसपा और कांग्रेस ऐसी रणनीतियां बनाकर चल रही हैं, जिसका नफा-नुकसान आगामीविधानसभाई चुनाव के राजनीतिक निहितार्थ लिए हो।

शरद पवार को फिर मौका मिला


(sansadji.com)


अमिताभ बच्चन से अपनी दूरियों का संकेत देकर कांग्रेस अपनी मराठी जोड़ीदार पार्टी एनसीपी से नए जोखिम की शुरुआत कर चुकी है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण समेत कांग्रेस नेता भले ही मेगास्टार अमिताभ बच्चन के साथ दिखने से बच रहे हों लेकिन कांग्रेस का सहयोगी दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) एक और समारोह के उद्घाटन के लिए इस सुपरस्टार को साथ लाने की कोशिश करने लगी है। राकांपा नेता और ग्रामीण विकास मंत्री जयंत पाटिल ने अमिताभ को भेजे एक पत्र में कहा है कि उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोग इस सुपरस्टार की सुविधा के अनुरूप एक समारोह की तारीख बदलने को भी तैयार हैं। पाटिल ने गत वर्ष दिसंबर में अमिताभ को एक पत्र भेज कर सांगली जिले के इस्लामपुर में आधुनिक नाट्य केंद्र का उद्घाटन करने के लिये आमंत्रित किया था। शरद पवार की पार्टी के वरिष्ठ मंत्री पाटिल ने इसके लिये 11 मार्च को अमिताभ को दूसरी बार निमंत्रण पत्र भेजा। उन्होंने अपने इस निमंत्रण पत्र में कहा है कि इस्लामपुर नगर निगम उनके हाथों से इस्लामपुर में एक आधुनिक नाट्य केंद्र का उद्घाटन करवाना चाहता है। नाटक केंद्र के पीछे का नाटक कुछ और बताया जाता है। पार्टी अध्यक्ष एवं केंद्रीय कृषिमंत्री शरद पवार बीच-बीच में कांग्रेस के कटे पर नमक छिड़कते रहना चाहते हैं। हाल ही में शिवसेना सुप्रीमो बाला साहब ठाकरे के साथ क्रिकेटीय मुलाकात कर अपना तेवर कांग्रेस को दिखा चुके हैं। अब एक और अवसर की तैयारी होती लग रही है। उधर ठाकरे भी दो दिन पूर्व ये बयान देकर नई रणनीति का इशारा कर चुके हैं कि अमिताभ बच्चन कोई आतंकवादी नहीं हैं, जो उनके साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है।

इराक संसदीय चुनाव में अलावी की जीत

इराक के संसदीय चुनाव में पूर्व धर्मनिरपेक्ष प्रधानमंत्री इयाद अलावी ने प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी को हरा दिया है। अलावी के गठबंधन ने 91 सीटों पर कब्जा किया है, जबकि अल-मलिकी के गठबंधन को 89 सीटें मिली हैं। चुनाव परिणाम आने के कुछ ही समय बाद अल-मलिकी ने राष्ट्रीय टेलीविजन पर कहा कि वे चुनाव परिणाम नहीं स्वीकार करेंगे और इसे कानूनी प्रक्रिया के जरिए चुनौती देंगे। हालांकि इराक में संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी ने सात मार्च को हुए चुनाव को विश्वासनीय बताते हुए सभी पक्षों से चुनाव परिणाम स्वीकार करने की अपील की है।

केंद्र के पैसे का यूपी में दुरुपयोगः राहुल




बरेली-अमेठी कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी और महासचिव राहुलगांधी के लोकसभा क्षेत्र हैं। यहां पहुंचकर सांसद राहुल गांधी कहते हैंकि हमारे मिशन 2012 का मकसद सिर्फ यूपी की सत्ता पर काबिजहोना नहीं, पूरे राज्य की तस्वीर बदलना है। फिर वह आरोप लगातेहैं कि रायबरेली-अमेठी का विकास नहीं होने दिया जा रहा है। इसप्रदेश में पिछले 25 वर्षो से जो राजनीति हो रही है, अब उसमेंबदलाव जरूरी है। रायबरेली-अमेठी में मनरेगा के कार्यो में कमी है। लाखों का घपला हुआ है। मैंने जांच की बातउठाई है। हमारा पूरा फोकस मनरेगा पर होना चाहिए। कांग्रेस के कार्यकर्ता गांवों में लोगों के जाब कार्ड बनवाएं।मनरेगा में उनको काम दिलवायें। प्रदेश में बदलाव लाने के लिए जनता की लड़ाई लड़नी पड़ेगी। देश को तेजी सेआगे ले जाना है। पैसे की कोई कमी नहीं है। बुंदेलखंड को हमने हजारों करोड़ का पैकेज दिया है। केंद्र ने जितनीमदद यूपी को दी है, उतनी किसी अन्य को नहीं। प्रदेश में हमारी सरकार नहीं है। इसलिए जो भी पैसा हम भेजते हैंवह जनता तक नहीं पहुंचने दिया जा रहा है, ताकि केंद्र की बदनामी होती रहे। रायबरेली और अमेठी के बाहरहमारा संगठन कमजोर है। इसलिए शेष उत्तर प्रदेश में भले ही मनरेगा चले, लेकिन अमेठी और रायबरेली मेंजरूर चलनी चाहिए। मनरेगा में मजदूरों की हाजिरी पंचायत मित्र लगाते हैं, चेक सचिव देता है, जो गलत है। इसेवह देखेंगे। उन्होंने खारे पानी की समस्या वाले गांवों की सूची मांगी। प्रदेश में विकास के बजाय भ्रष्टाचार बढ़ा है।आज सूबे की हालत बदतर होती जा रही है। सड़कें जस की तस हैं और धन कागजों पर खर्च कर डाला गया है।कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर केंद्रीय योजनाओं की जानकारी जनता को दें और विकास कार्यो की निगरानी भी करें।केन्द्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन में व्याप्त भ्रष्टाचार पर गहरी चिंता जताते हुए उन्होंने सवाल उठाया कि केन्द्रसरकार जब इन योजनाओं के लिए भरपूर पैसा देती है तो उसका पूरा लाभ जनता को क्यों नहीं मिलता? जहां कहींभी वह जाते हैं इन योजनाओं में घपले की बात जरूर उठती है। यह भी कहा जाता है कि योजनाओं के क्रियान्वयनमें जनप्रतिनिधियों को विश्वास में नहीं लिया जाता। उन्होंने भ्रष्टाचार से संबंधित मामले की जांच में लापरवाहीबरतने पर एक कप्तान को कड़ी फटकार लगायी और पखवारे भर के भीतर जांच पूरी करने को कहा। बैठक मेंकांग्रेस के सांसद डा.संजय सिंह भी मौजूद रहे।