Tuesday, March 30, 2010

तृणमूल सांसद कबीर ने दिया लोकसभा और पार्टी से इस्तीफा




पश्चिमी बंगाल की जादवपुर सीट से तृणमूल कांग्रेस के बागी सांसद कबीर सुमन ने पार्टी और लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। यह दावा लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक सुदीप बंदोपाध्याय ने किया है। उन्होंने बताया है कि गायक से नेता बने सुमन ने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी को एक एसएमएस भेजकर पार्टी और साथ-साथ लोकसभा की सदस्यता से भी अपने इस्तीफे की घोषणा की है। जादवपुर से सांसद सुमन ने यह एसएमएस बंदोपाध्याय और एक अन्य तृणमूल नेता मुकुल राय को भी भेजा है। इसमें कहा गया है, 'मैं अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस और लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं। आपको सफलता और अच्छे स्वास्थ्य की शुभकामना।'

राज्यसभा सीटः एन अनार, सौ बीमार

पंजाब में राज्यसभा की दो सीटों के लिए एक अनार, सौ बीमार की कहावत चरितार्थ हो रही है। यहां की दो राज्यसभा सीटों के लिए जुलाई में चुनाव होने वाले हैं। इन दोनों सीटों के लिए कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) से कई दावेदार सामने आ गए हैं। प्रदेश में राज्यसभा की सात सीटें हैं, जिनमें से पांच पर हाल ही में चुनाव हो चुका है। जुलाई में खाली होने वाली दो सीटों में से एक-एक सीट शिअद व कांग्रेस के खाते में जाएगी। शिअद से राज्यसभा के लिए कई उम्मीदवार दावा जता रहे हैं। पूर्व राज्यसभा सदस्य बलविंदर सिंह भूंदड़ के अलावा पूर्व सांसद प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा सर्वाधिक सशक्त प्रत्याशी माने जा रहे हैं। इनमें से एक को टिकट देना सीधे-सीधे दूसरे को नाराज करना होगा। शिअद इस समय ऐसी कोई नाराजगी मोल नहीं लेना चाहता, जिससे पार्टी में किसी भी स्तर पर कोई सुगबुगाहट पैदा हो। ऐसे में पार्टी किसी नए चेहरे को भी राज्यसभा की टिकट थमा सकती है। एसजीपीसी के प्रधान अवतार सिंह मक्कड़, पूर्व प्रधान कृपाल सिंह बडूंगर और मुख्यमंत्री के सलाहकार डा. दलजीत सिंह चीमा भी राज्यसभा टिकट के लिए खुद को फिट मानते हैं। लेकिन यह पार्टी अध्यक्ष एवं उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल पर निर्भर करेगा कि वह किसे संसद के ऊपरी सदन में भेजते हैं। सूत्रों के अनुसार, इसका फैसला वही करेंगे। वह किसी युवा अकाली नेता या महिला को भी राज्यसभा का टिकट दे सकते हैं। दूसरी ओर, कांग्रेस में भी राज्यसभा जाने के लिए कई दावेदार हैं। हालांकि, केंद्रीय मंत्री अंबिका सोनी के दोबारा पंजाब से चुना तय है, फिर भी यह चर्चा गर्म है कि श्रीमती सोनी इस बार पंजाब के बजाय किसी अन्य राज्य से राज्यसभा जाएंगी। ऐसे में पूर्व सांसद शमशेर सिंह दूलों, राणा गुरजीत सिंह व जगमीत बराड़ में से किसी का भाग्य उदय हो सकता है। इस बीच भाजपा ने भी राज्यसभा सीट के लिए अंदरखाते चर्चाएं शुरू कर दी हैं। उसका तर्क है कि पूर्व अकाली सरकार के कार्यकाल में भी भाजपा के दो सांसद राज्यसभा में थे। तब लाला लाजपत राय के साथ बीबी गुरचरण कौर राज्यसभा सदस्य बनी थीं। हालांकि, बीबी गुरचरण कौर को अकाली दल के बरजिंदर सिंह हमदर्द के इस्तीफे के बाद राज्यसभा भेजा गया था। भाजपा का कहना है कि उस समय अकाली दल के 75 विधायक, जबकि भाजपा के 18 विधायक थे। अब हालात बदले हुए हैं। इस समय अकाली दल के 49 और भाजपा के 19 विधायक हैं। एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि अकाली दल-भाजपा विधायकों की संख्या के अनुपात में आए बदलाव के बाद तो भाजपा का राज्यसभा के लिए सदस्य वैसे ही बढ़ जाने चाहिए। अब जुलाई में ही यह स्पष्ट होगा कि अकाली दल अपनी सहयोगी भाजपा के लिए सीट छोड़ता है या नहीं।

No comments:

Post a Comment