Monday, March 29, 2010

सांसद जया बच्चन की नई मुसीबत



समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन एक बार फिर मुसीबत में पड़ सकती हैं। 24 जून 2008 को राज्य सभा चुनाव के निर्वाचन अधिकारी के रूप में तत्कालीन प्रमुख सचिव विधानसभा का आदेश है कि ''श्रीमती जया बच्चन, निवासी प्रतीक्षा, नार्थ साउथ रोड नम्बर 10, जुहू मुंबई के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराकर कार्रवाई प्रारम्भ की जानी चाहिए।'' अभी तक इस आदेश पर अमल नहीं हुआ है। ऐसे में अब सरकार से जन सूचना अधिकार के तहत यह सवाल हुआ है कि वह इस आदेश पर अमल करने से क्यों बच रही है? मुख्य सूचना आयुक्त और केंद्रीय निर्वाचन आयोग के समक्ष भी प्रत्यावेदन दाखिल हुए हैं। सूत्रों के अनुसार सरकार ने आनन-फानन में सारे दस्तावेज तलब किए हैं। विधिक राय ली जा रही है। जया बच्चन ने वर्ष 2006 में जब राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया था तो शपथ पत्र में अपने पति के नाम की बाराबंकी की जमीन का उल्लेख नहीं किया था। इसको लेकर स्थानीय कांग्रेसी नेता अमीर हैदर ने 28 जून 2006 को केंद्रीय निर्वाचन आयोग में शिकायत की। आयोग ने इस प्रकरण को निर्वाचन अधिकारी के रूप में उत्तर प्रदेश विधानसभा के प्रमुख सचिव के पास भेज दिया। लम्बी जांच पड़ताल, तर्क-वितर्क के बाद प्रमुख सचिव, विधानसभा ने 24 जून 2008 को अपना फैसला सुनाया और लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया, '' श्रीमती जया बच्चन ने दिनांक एक जून 2006 को रिटर्निग आफीसर को दिए गए, शपथ पत्र में सही तथ्यों का उल्लेख नहीं किया है और उसमें श्री अमिताभ बच्चन के नाम की दो जमीनों का उल्लेख न करने के तथ्यों को छिपाया है। यदि नामांकन पत्र के साथ रिटर्निग आफीसर को दाखिल किए गए शपथ पत्र में अभ्यर्थी द्वारा सही तथ्य नहीं दिए गए हैं तो भारतीय दण्ड विधान की धारा 177 के तहत दण्डनीय अपराध है। तदनुसार श्रीमती जया बच्चन, निवासी प्रतीक्षा, नार्थ साउथ रोड नम्बर 10, जूहू मुंबई के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराकर कार्रवाई प्रारम्भ की जानी चाहिए।'' अमीर हैदर का कहना है कि उसके बाद से वह लगातार लखनऊ के वरिष्ठ अधीक्षक से सम्पर्क कर यह जानने की कोशिश करते रहे कि एफआईआर कब दर्ज होगी? एफआईआर दर्ज करने में क्या अड़चन है? बकौल अमीर हैदर, उन्हें जब कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला तब उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से आरटीआई एक्ट के तहत जानकारी मांगी, निर्धारित समय के अंदर जवाब न मिलने पर उन्होंने अपीलीय अधिकारी आईजी लखनऊ के यहां प्रत्यावेदन दिया लेकिन वहां से भी कोई जानकारी नहीं दी गई। इसकी वजह से उन्हें सूचना आयोग के समक्ष याचिका दायर करने का अधिकार मिल गया। अमीर हैदर ने आयोग में तो याचिका दायर की है, साथ ही इस मामले पर सरकार को घेराबंदी शुरू कर दी है। उन्होंने शासन स्तर पर एक प्रत्यावेदन देकर सरकार से जानना चाहा है कि आखिर वह वजह क्या है कि एफआईआर दर्ज नहीं हो रही है? उन्होंने केंद्रीय निर्वाचन आयोग के समक्ष भी प्रत्यावेदन भेजा है। उनका कहना है कि उन्हें सिर्फ इस सवाल का जवाब चाहिए कि आखिर जया बच्चन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से क्यों बचा जा रहा है?

No comments:

Post a Comment