Thursday, April 1, 2010

रामदेव को लालू बोले- बाबा तो 'बौरा' गए!


क्या योगगुरू बाबा रामदेव सचमुच 'बौरा' गए हैं। आरजेडी प्रमुख एवं सारन के सांसद लालू प्रसाद यादव तो उनके बारे में ऐसा ही कहते हैं। मुख्यमंत्री मायावती कह ही चुकी हैं कि गांव के लोगों को कसरत के लिये किसी बाबा की जरूरत नहीं। भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी कहते हैं कि बाबा नई पार्टी न बनाएं। उलेमा कहते हैं कि मुसलिम उनके शिविर में न जाएं। फिलहाल लालू का ताजा बयान ऐसे समय में आया है, जबकि तीन वर्ष के भीतर एक नया राजनीतिक दल खड़ा करने की घोषणा करने वाले योगगुरू नेपाल में भी एक योग केंद्र शुरू कर चुके हैं। उन्हें वहां के राष्ट्रपति रामबरन यादव का समर्थन प्राप्त है। लालू यादव कहते हैं कि ‘यह ठीक नहीं है कि रामदेव अपने को सही साबित करने के लिए प्रत्येक नेता की आलोचना करें। हकीकत यह है कि रामदेव बौरा गए हैं। हमने योग गुरु से कहा था कि वे कोई राजनीतिक दल खड़ा नहीं करें।’लालू रामदेव के कैंसर को ठीक करने संबंधी दावे की भी आलोचना करते हुए कहते हैं कि ‘रिसर्च के इस युग में ऐसा करना न केवल धोखाधड़ी बल्कि लोगों को बेवकूफ बनाना है।’ सियासत की इस साधु-साधु सरगर्मी में आइए एक बार फिर जान लेते हैं कि मायावती ने क्या कहा था और जवाब में बाबा क्या बोले थे। मुख्यमंत्री मायावती कहती हैं कि ‘एक बाबा है, कसरत सिखाता है और देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के नाम पर राजनीतिक पार्टी बनाकर देश पर राज्य करना चाहता है। भारत की 80 प्रतिशत जनता गांवों में रहती है और सुबह से शाम तक काम करने से उनकी कसरत अपने आप हो जाती है। गांव के लोगों को कसरत के लिये किसी बाबा की जरूरत नहीं है। बाबा शहर के लोगों को ही अपने जाल में फंसा सकता है। इस रामदेव मुख्यमंत्री को ‘मायावी’ बताते हुए कहते हैं कि बसपा प्रमुख उनसे इसलिए नाराज हैं क्योंकि वे और उनके अनुयायी गरीबों और दलितों का जीवन बेहतर बनाने के लिए काम कर रहे हैं। समय ही बताएगा कि दोनों में असली मायावी कौन है, जिस दिन मायावती सत्ता से हट जाएँगी वह स्वयं यह महसूस करेंगी कि सत्ता कितनी दिखावटी होती है। उल्लेखनीय है कि योग गुरू ने हाल ही में राजनीति के मैदान में उतरने की घोषणा की है। उनकी पार्टी देश के राजनीतिक तंत्र को साफ़ करने के लिए अगले लोकसभा चुनाव में भारत स्वाभिमान के बैनर तले सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। इसके लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू कर दिया गया है। उनके संगठन ने अगले दो वर्षो में देश के प्रत्येक जिले में सात से 10 लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है। बाबा का ये ऐलान सुर्खियां बनते ही भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने बाबा रामदेव से नई पार्टी न बनाने की गुजारिश कर डाली थी। उन्होंने कहा था कि हम बाबा रामदेव से निवेदन करते हैं कि वह नई पार्टी न बनाएं। इससे बीजेपी के वोट कटेंगे और फायदा कांग्रेस को होगा। बाबा रामदेव की राजनीति से जो उम्मीदें हैं, उन्हें हम पूरा करेंगे, वह बीजेपी की मदद करें। इसके जवाब में बाबा ने कहा था कि मैं किसी विवाद को जन्म नहीं देना चाहता। मेरा मकसद सत्ता हासिल करना नहीं है। मैं बस यही चाहता हूं कि राजनीतिक सिस्टम में स्वच्छता आए। अच्छे लोग सभी पार्टियों में हैं, कांग्रेस में भी और बीजेपी में भी। यह भी जान लीजिए कि पिछले साल जब देवबंद (उ.प्र.) में मुस्लिम उलेमाओं की बैठक में योग गुरु बाबा रामदेव ने प्राणायम करके दिखाया था. और तो और एक हिंदू पुजारी ने इस दौरान वैदिक मंत्रोच्चार भी किया था तो चार दिन बाद दारूल उलूम ने फ़तवा जारी कर मुसलमानों से कहा था कि वे बाबा के शिविर में जाने से बचें, क्योंकि शिविर वंदे मातरम के गायन से शुरू होता है। बहरहाल, रामदेव चाहे जो कहें-सुनें, हकीकत तो ये ही लगती है कि उनके राजनीतिक दल खड़ा करने की घोषणा को लेकर कोई खास उत्साह नहीं है। देश में पहले भी कई बाबाओं ने इस तरह के प्रयास किए थे, जिसका हश्र लोगों को पता है। इसलिए लालू यादव की टिप्पणी शायद सच के ज्यादा करीब लगती है।

Wednesday, March 31, 2010

फिर तो लालू की खुशी का ठिकाना नहीं!

दल छोटा है तो क्या हुआ, दिल्ली तो है। दिल्ली का दिल बहुत बड़ा है। औरों के लिए हो, न हो, सांसदों के लिए इतना बड़ा है कि अपुन पार्टी में तीन-चार सांसद भी हों तो चलेगा। संपदा निदेशालय जो है। दे देगा पटेल हाउस में कोई-न-कोई ठीया। ऐसी ही सूचना पिछली 15 मार्च को नमूदार हुई है, जो मुई 31 मार्च को मीडिया के हाथ लगी। तो पता चला है कि छोटे राजनीतिक दलों को फायदा पहुंचाने वाले एक निर्णय में सरकार ने दिल्ली में उन क्षेत्रीय दलों को दफ्तर के लिए स्थान आवंटित करने का फैसला किया है, जिनके कम से कम चार सदस्य संसद के किसी भी सदन मे हों। इससे राजद की खुशी का ठिकाना नहीं है। थोड़ी-बहुत खुशी इससे रामविलास पासवान को भी हो सकती है। भले झोली में झक्कास कंगाली हो। तो संपदा निदेशालय ने 15 मार्च को जारी की थी सूचना कि केवल उन मान्य राज्यस्तरीय राजनीतिक दलों के नाम पर विट्ठलभाई पटेल हाउस में दफ्तऱ-आवास के आवंटन के लिए विचार किया जा सकता है, जिनके कि कम से कम चार सदस्य संसद के दोनों सदनों में हों। सो, तो हैं ही कई के। इससे पहले यह प्रावधान संसद के दोनों सदनों में कम से कम सात सदस्यों वाले दलों के लिए लागू था और चार मई 2001 के कार्यालय आदेश में इसका जिक्र किया गया था। इस कदम से गिने-चुने दो-तीन सांसदों वाले रालोद और इससे थोड़ी ज्यादा सांसदों वाले जनता दल-सेकुलर एवं नेशनल कांफ्रेंस को फायदा हो सकता है। इस फैसले से लालू प्रसाद को फायदा तय माना जा रहा है, क्योंकि अगले कुछ महीनों में राज्यसभा में इसके सदस्यों की संख्या कम होने पर इसके पास वीपी हाउस में पहले से ही मौजूद कार्यालय बना रह सकता है। बने रहना चाहिए। महिला आरक्षण विधेयक आ रहा है। परमाणु विधेयक आ रहा है। शिक्षा नामक विधेयक आ रहा है.......आदि-आदि। चलो ठीक ही हुआ। भगवान सबका भला करे। संसद जो है अपने देश की!

सोचिए कि संसद और देश सानिया नहीं, सोनिया गांधी से चलते हैं! शोएब से ज्यादा जरूरी है रायबरेली (उ.प्र.) का पता रखना.



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देश सोनिया गांधी से चलता है, सानिया मिर्जा से नहीं। होशोहवास दुरुस्त रखकर बात पते की करें तो सूचनाएं इसी सिरे से आती हैं। उत्तर प्रदेश के रायबरेली लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं सोनिया गांधी, कौन नहीं जानता! जो जानते हैं, अनजान बने रहना चाहते हैं, जो नहीं जानते, उन्हें उत्तर प्रदेश से ज्यादा जानने की फुर्सत नहीं है। बात बसपा बनाम मायावती के माला प्रकरण से होती हुई नोटो की माला से लदी सोनिया गांधी के उस फोटो तक पहुंच जाती है, जो बसपा प्रतिशोध के अंदाज में पिछले दिनों जारी करती है। मीडिया के लिए यह सुरसुरी हो सकती है और पाठकों-दर्शकों के लिए दीदाफाड़ अचंभा। लेकिन नतीजे बहुत आगे पहुंच कर छाती पीटने, लगते हैं कि आज सोनिया गांधी रायबरेली में थीं। बहुतों के लिए अपने-आप में यही बहुत बड़ी बात हो सकती है। इससे भी बड़ी बात ये कि दो दिन पहले राहुल गांधी भी उत्तर प्रदेश के अमेठी इलाके में गए थे। दोनों यात्राएं बसपा के लिए सवाल हो सकती हैं कि इतनी जल्दी-जल्दी दोनों परिजन-सांसदों के 'हमारे प्रदेश' में आने का मतलब आखिर क्या हो सकता है! जैसे मायावती के इतनी भारी माला पहनने का मतलब क्या हो सकता था, कांग्रेस वाले आज तक नहीं जान पाए हैं!! राजनीति में ऐसे अबूझ सवाल चलते रहते हैं। कोई नई बात नहीं। न ही जानें तो ठीक। बस 'जनता जनार्दन नामक मतदाता' को पगलाने वाले तरीके का जरा कमाल होना चाहिए। सो, कई तरह के कमाल इन दिनों हो रहे हैं। ........तो सुनिए कि सोनिया जी ने आज कहा..........मनरेगा नहीं, दिस इज रांग वर्ड, महात्मा गांधी नरेगा बोलिये...यह कहते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी रायबरेली में जिला निगरानी व सर्तकता समिति की बैठक में अधिकारियों को योजना का सही नाम लेने की नसीहत देती हैं। बैठक की अध्यक्षता करते हुए सोनिया केन्द्र सरकार की योजनाओं के अमल पर लापरवाही पर अफसोस जताती हैं। वह कहती हैं कि योजना में गड़बड़ियों की व्यापक स्तर पर सोशल आडिट होनी चाहिए। धांधलियों के बारे में जनता को भी पता चलना चाहिए। बैठक में कांग्रेस विधायकों आरोप लगाते हैं कि राज्य सरकार जिले की प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजनाओं का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को नही भेज रही है। आदि-आदि। बैठक की शुरूआत में रायबरेली के डीएम चरनजीत बख्शी जैसे ही मनरेगा का जिक्र करते हैं, सोनिया टोकते हुए कहती हैं कि मनरेगा कोई शब्द ही नही है। इसके बाद वह नरेगा में जॉब कार्ड के लिए रिजेक्ट किये गए 16 हजार फार्मों पर भी एतराज करते हुए रिजेक्ट प्रार्थना पत्र विकास विभाग से तलब कर लेती हैं। और कहती हैं कि वे खुद इस बात की जांच करेगीं कि जॉब कार्ड के प्रार्थना पत्र क्यों रद्द किये गए! ये बड़ी मुश्किल बात हो जाती है। भ्रष्टाचार को सींचने वाले कथित हलालखोर (?) बाहर सूंघते रहते हैं कि अंदर क्या चल रहा है! सोनिया नरेगा में सिर्फ 5 प्रतिशत महिलाओं को काम दिये जाने पर भी नाराजगी जताती हैं। कहती हैं कि योजना में कम से कम 33 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी होनी चाहिए। यह चेतावनी दिल्ली पहुंच जाती है। लखनऊ भी। पटना भी। लालू-मुलायम उधर जो हैं। संभव है कोलकाता तक पहुंच गई हो। लेकिन ममता बनर्जी अपने सांसद कबीर सुमन को लेकर अचानक अचंभित और हैरान हैं। जितनी की रेल बजट पर दादा की नाफरमानी से परेशान नहीं थीं। आखिर क्यों? सियासत की परिभाषा महादेवी वर्मा बहुत पहले बयान कर चुकी हैं। सो, रायबरेली में आज संप्रग सुप्रीमो की करीब पांच घटें चली बैठक में हर योजना की अलग-अलग समीक्षा की गई। बैठक में जिले के विधायक, जिला पंचायत सदस्य व ब्लाक प्रमुख मौजूद थे। बैठक में केन्द्र सरकार की मदद से बन रही सड़कों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने, राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना व परिवारिक लाभ योजना पर गहन चर्चा की गई। बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष ने राजीव गांधी ट्रस्ट की ओर से बनाए गए गेस्ट हाउस का लोकार्पण भी किया। उत्तर प्रदेश में लोकार्पण?? संदेश मायावती तक पहुंच चुका है। पुल नहीं, गेस्ट हाउस था, कोई बात नहीं। नसीमुद्दीन सिद्दीकी के नीचे के स्तर की बात है। ....और इस बीच पता चलता है कि 'राष्ट्रीय दल और क्षेत्रीय दल' नामक शीर्षक सांसद अमर सिंह के बहुचर्चित ब्लॉग पर पिछले पांच दिनों से झूल रहा है। क्षत्रिय महासभा, सांसद जया बच्चन, पूर्व सांसद अमिताभ बच्चन आदि प्रकरणों ने इतना कोहरा बिछा दिया है कि लिखने की फुर्सत ही नहीं मिल रही। सपा से कांग्रेस तक इतने ताने-बाने हैं कि बोलने और लिखने का तारतम्य न चाहकर भी बड़े भद्दे तरीके से उलझ गया है।
उफ्, ये राजनीति!!!

दिल्ली में मुस्लिमों को कांग्रेस का मरहम





दिल्ली में एक ओर आज राज्यों के अल्पसंख्यक आयोगों का वार्षिक सम्मेलन हो रहा है, दूसरी तरफ पहले से महिला आरक्षण बिल को लेकर गर्मायी सियासत पांच अप्रैल से फिर पुरजोर होने जा रही है। इस बीच लालू, मुलायम व मुस्लिम संगठनों के उलाहने थम नहीं रहे। इधर, दिल्ली में आज सलमान खुर्शीद और पी. चिदंबरम ने मुस्लिमों को जमकर आश्वस्त करने की कोशिश की।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री सलमान खुर्शीद ने आज कहा कि वह पिछड़े मुस्लिमों को आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है, जैसा कि सच्चर समिति की रिपोर्ट में सिफारिश की गई है। हम पिछड़े वर्गो की आरक्षण सूची में पिछड़े मुसलमानों को उनका हिस्सा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ऐसी ही सिफारिश सच्चर समिति की रिपोर्ट में गई है और हमारे (कांग्रेस) चुनाव घोषणा पत्र में भी यह वायदा किया गया है। सच्चर समिति की सिफारिश और कर्नाटक, केरल तथा तामिलनाडु में पिछडे वर्गों की सूची में अल्पसंख्यकों के पिछड़े वर्गों को अलग और विशेष प्रतिनिधित्व देने के सफल प्रयोगों के आलोक में अपने चुनाव घोषणा पत्र में हमने यह संकल्प किया था। इन राज्यों में जिस आधार पर यह व्यवस्था की गई, उसी बुनियाद पर हम आगे बढ़ सकते हैं। उन्होंने इस संदर्भ में बिहार का उदाहरण दिया, जहां ऐसे कदम पहले ही उठाए जा चुके हैं। इससे पहले खुर्शीद ने राज्यों के अल्पसंख्यक आयोगों के वाषिर्क सम्मेलन में कहा कि आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय मुस्लिमों के पिछडे वर्गों को आरक्षण देने की राज्य सरकार की पहल को दो बार अस्वीकार कर चुकने के बाद पिछडे वर्गों के 27 प्रतिशत के सामान्य आरक्षण में उनको भी आरक्षण देने की अवधारणा को नामंजूर नहीं कर सका। उनका मंत्रालय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इस बात के लिए राजी करने की कोशिश कर रहा है कि अगली पंचवर्षीय योजना में अल्पसंख्यक बहुल जिले घोषित करने के लिए संबंधित जिलें में अल्पसंख्यक आबादी को वर्तमान 25 प्रतिशत की शर्त को घटा कर 15 प्रतिशत कर दिया जाए। उधर, बरेली और हैदराबाद में हुए साम्प्रदायिक दंगों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यकों को आश्वासन दिया है कि वह उनके हितों की सुरक्षा के लिए दृढ संकल्प है और साम्प्रदायिक हिंसा से निपटने के लिए इस साल के अंत तक एक नया कानून आ जायेगा। गृह मंत्री पी. चिदम्बरम ने आज यहां राज्यों के अल्पसंख्यक आयोगों के वाषिर्क सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए यह आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न भागों में छोटी छोटी बातों को लेकर सांप्रदायिक दंगे भडके हैं। उनमें से कुछ के पीछे तो पूर्व में हुआ कोई छोटा मोटा झगड़ा भी रहा है और जिसका परिणाम यह हुआ कि अल्पसंख्यक समुदाय में भय और असुरक्षा का वातावरण बना है तथा लोगों की आपस की दूरी बढी है। गृहमंत्री ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय में किसी भी प्रकार के दंगे की आशंका को तत्काल दूर करने की आवश्यकता है। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को बनाये रखने और सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों को समान अवसर प्रदान करने को प्रतिबद्ध है। चिदम्बरम ने कहा कि केन्द्र सरकार दिसंबर 2005 से ऐसा कानून बनाने के लिये काम कर रही है जिसके तहत सांप्रदायिक हिंसा को रोका जा सके, नियंत्रित किया जा सके और दंगा पीड़ितों का पुनर्वास सुनिश्चित किया जा सके। इस आशय का एक विधेयक 2005 में संसद की स्थायी समिति को सौंपा गया था। उनको इस बात की पूरी उम्मीद है कि इस साल के अंत तक साम्प्रदायिक हिंसा को रोकने व नियंत्रित करने तथा पीड़ितों के पुनर्वास के लिए कानून अवश्य बन जायेगा।

मध्य प्रदेश में कांग्रेस सांसदों को नोटिस



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मध्य प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व ने अपनी पार्टी के सांसदों को ही नोटिस थमा दिया है। मामला ही कुछ ऐसा है। पार्टी का मानना है कि ये सांसद और अन्य पदाधिकारी पार्टी फंडिंग से बच रहे हैं।
पीसीसी ने ऐसे अपने कई सांसदों तथा पूर्व सांसदों, विधायकों सहित लगभग 260 नेताओं को नोटिस थमाते हुए उनसे कहा है कि पार्टी खर्च चार अप्रैल तक हर हाल में जमा करें। जो पैसा जमा नहीं करेगा, उसे संगठन चुनाव के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। पता चला है कि इस चेतावनी का तत्काल असर हुआ है। अब तक 60-70 लोगों ने फीस जमा कर दी है। उल्लेखनीय है कि डॉ. मनमोहन सिंह समिति के निर्देशानुसार पीसीसी सदस्य को 300 रूपये, एआईसीसी सदस्य को 600 रूपये सालाना, सांसद, विधायक, निगम एवं बोर्डो के अध्यक्ष व सदस्यों को प्रतिवर्ष एक माह का वेतन पार्टी कार्यालय में जमा कराना है। यही नियम जिला परिषद, नगर पालिका, नगर पंचायत प्रमुखों आदि पर भी लागू है। जिन राज्यों में पार्टी सत्ता से बाहर है, उनका खर्चा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के जिम्मे है। समिति के अनुसार संगठन के लिए निर्वाचित प्रतिनिधियों के अलावा पीसीसी सदस्य और एआईसीसी सदस्यों को भी सहयोग राशि देना जरूरी किया गया है, इसके बावजूद पीसीसी को अपने खर्च के लिए एआईसीसी का मुंह देखना पड़ता है। समिति के कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा ने जब भृगुटिया टेढ़ी की हैं तो दनादन पैसे जमा होने लगे हैं।

Tuesday, March 30, 2010

सांसद राहुल गांधी की चेतावनी पर माया का डंडा चला



उत्तर प्रदेश में मनरेगा की गड़बड़ियों पर माया सरकार को चेतावनी देना असर कर गया है। अमेठी में सांसद एवं कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने पिछले दिनो मीटिंग में चेतावनी दी थी कि अगर प्रदेश सरकार ने नरेगा की गड़बड़ियों पर लगाम लगाते हुए भ्रष्ट लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की तो केंद्र सरकार को इसमें हस्तक्षेप करना पड़ेगा। राहुल की चेतावनी के बाद केन्द्र सरकार द्वारा प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास श्रीकृष्ण को इस संबंध में एक कड़ा पत्र भी लिखा गया था। 88 लाख रुपये का भुगतान एक फर्जी एनजीओ को करने के लिए प्रथम दृष्टया जिम्मेदार पाये जाने पर सुल्तानपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी आरके सिंह, मुख्य विकास अधिकारी बी.राम तथा एक अन्य घोटाले के लिए जिम्मेदार चित्रकूट के तत्कालीन जिलाधिकारी हृदयेश कुमार के खिलाफ मुख्यमंत्री ने विभागीय कार्रवाई शुरू करा दी है। आरोपपत्र देकर इनके विरुद्ध जांच करने का निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने महोबा एवं चित्रकूट के तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारियों को निलम्बित करने का निर्देश दिये हैं। गोण्डा, बलरामपुर, महोबा, सुल्तानपुर, चित्रकूट के अन्य कई अधिकारियों को भी निलम्बित कर दिया गया है। मनरेगा की जांच के बाद गोण्डा के तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी राजबहादुर निलम्बित कर दिये गए हैं। वहां के परियोजना निदेशक जीपी गौतम, सहायक लेखाकार सुधीर कुमार सिंह, लेखाकार अवधेश कुमार सिंह, संख्या सहायक दुर्गेश मिश्र भी निलम्बित हो गये हैं। बलरामपुर के परियोजना निदेशक अमरेशनन्द राय, तत्कालीन परियोजना निदेशक भगवती प्रसाद वर्मा तत्कालीन प्रभारी लेखाधिकारी बृजकिशोर लाल श्रीवास्तव को निलम्बित कर दिये गये हैं। महोबा के तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी जयरामलाल वर्मा परियोजना निदेशक हरिनारायण तत्कालीन खण्ड विकास अधिकारी लालसिंह, आदित्य कुमार तथा राजेश कुरील भी निलम्बित किये गये हैं। सुल्तानपुर के परियोजना निदेशक छोटेलाल कुरील, वरिष्ठ लिपिक मनोज कुमार, सहायक लेखाकार देवकी नन्दन यादव लेखाकार विजय शंकर दुबे को निलम्बित कर दिया गया है। चित्रकूट के तत्कालीन जिला विकास अधिकारी गया प्रसाद सिंह को आरोप पत्र देकर उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू कर दी गयी है। वहां तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी प्रमोद चन्द्र श्रीवास्तव, परियोजना निदेशक राम किशुन, सहायक लेखाकार मुन्नू लाल और कनिष्ठ लिपिक अतुल कान्त खरे को निलम्बित किया गया है। भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार अबतक 69 अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध निलम्बन की कार्यवाही की जा चुकी है। इसके अतिरिक्त जिन कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच पूरी हो गयी है उसमें से 51 को प्रतिकूल प्रविष्टि दी गयी 4 की वेतनवृद्धि रोक दी गयी है। 29 जिलों में 40 मामलों में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी गयी है, जिसके अन्तर्गत 38 प्रधानों, 30 ग्राम विकास व ग्राम पंचायतराज अधिकारियों तथा 48 अन्य विभाग के अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाई जा चुकी है।

सांसद वरुण ने माया सरकार को चेताया




सहारनपुर में भाजपा के राष्ट्रीय सचिव और पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी ने कहा कि वे राजनीति में चुनाव जीतने या सत्ता हासिल करने के लिए नहीं बल्कि अपने लोगों के सम्मान की रक्षा के लिए संघर्ष करने आए हैं। यदि वे ‘गांधी’ उपनाम की बजाय किसी और जाति के होते तो आज उन्हें यह जगह नहीं मिलती। यह दुर्भाग्य की बात है कि प्रतापगढ़ में मात्र 20 रुपए, मामूली कपड़े, कुछ मिठाई और बर्तन के लिए 65 लोगों की शहादत हो जाती है, लेकिन पाँच करोड़ और 10 करोड़ की माला पहनने वाली मायावती उर्फ ‘मालावती’ के पास उन गरीबों को देने के लिए मुआवजे की राशि तक का इंतजाम नहीं है। भाजपा के युवा सांसद ने कहा कि वे इस मंच के माध्यम से मायावती के खिलाफ नहीं बोलेंगे क्योंकि चुनाव में मायावती ने उन्हें बहुत प्यार और सम्मान दिया था, हमारा समय आने पर उन्हें उससे ज्यादा प्यार तथा सम्मान दिया जाएगा। हमारे ऊपर आज यह जिम्मेदारी है कि हम अमीरों के बजाय आम परिवारों के नौजवानों को उनका सम्मान दिलाएँ। उन्होंने सलाह दी कि यदि नौजवानों को लंबे समय के लिए कर्ज दिया जाए तो वे विभिन्न व्यवसायों को अपनाकर अपने सपनों को सफल कर सकते हैं। कपड़े और अन्य सामान का व्यापार करने वाला व्यापारी जब स्वयं सामान का रेट तय करता है तो किसान को भी उसकी फसल का रेट खुद तय करने का अधिकार दिया जाना चाहिए। उन्होंने गोहत्या को सांप्रदायिक पाप और कानूनी जुर्म मानते हुए कहा कि गोहत्या केवल हिन्दुओं से जुड़ा मामला नहीं है बल्कि यह राष्ट्रीय मुद्दा है।